भोपाल। ज्यादातर पिता अपने बेटे को अच्छी नौकरी दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। पद का दुरुपयोग करते हैं। रिश्वत देते थे। रिश्तों की दुहाई देकर नियम विरुद्ध नियुक्तियां कराते हैं परंतु छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन केआर पिस्दा ने खुद को परीक्षा प्रक्रिया से 2 साल तक बाहर रखा क्योंकि उनके बेटे ने परीक्षा फार्म भर दिया था। उनका बेटा 3 बार असफल रहा, चौथी बार में सफल हो पाया। बता दें कि पिस्दा 1996 बैच के आईएएस अफसर हैं।
सिविल सर्विस परीक्षा 2017 में हितेश का चयन हो गया है। इस संबंध में किसी भी तरह का विवाद न हो, इसलिए केआर पिस्दा ने बतौर चेयरमैन न होकर चेयरमैन की जिम्मेदारी एक सदस्य को हवाले कर दी थी। हालांकि आयोग के सदस्यों को पता था कि चेयरमैन का बेटा भी पीएससी में बैठा हुआ है। एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पीएससी के चेयरमैन इस मामले में बेहद संजीदा रहे हैं। यही कारण है कि पिछली दो सिविल सर्विस की परीक्षाओं में उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक खुद को अलग कर लिया था।पीएससी चेयरमैन केआर पिस्दा का कहना है कि नियमानुसार उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने बताया कि चौथी बार में उनके बेटे को कामयाबी मिली है।
यह कहता है नियम
किसी भी परीक्षा लेने वाली संस्था में कोई भी प्राधिकृत अधिकारी का सगा, सम्बंधी, खून का रिश्तेदार यदि शामिल होता है तो उस अधिकारी को परीक्षा से पहले ही शपथ पत्र देकर परीक्षा से अलग होना पड़ता है। बताया जाता है कि सिविल सर्विस की दो लगातार परीक्षाओं में खुद चेयरमैन के बेटे उम्मीदवार थे और उन्होंने इस परीक्षा से खुद को दूर रखा। उनकी जगह चेयरमैन की भूमिका एक सदस्य ने निभाई।