भोपाल। भाजपा नेता राकेश सिंह को BJP का प्रदेश अध्यक्ष इसलिए बनाया गया क्योंकि वो जबलपुर के सांसद भी थे, परंतु 2019 के चुनाव में उसकी रियासत खतरे में जाती नजर आ रही है। सीएम कमलनाथ भोपाल के बाद इंदौर और जबलपुर में भाजपा को तगड़ी चुनौती देने के मूड में हैं। इसके लिए उन्होंने विवेक तन्खा को जबलपुर से लड़ने के लिए राजी कर लिया है। अब जब तन्खा लड़ेंगे तो यह चुनाव सामान्य तो कतई नहीं रह जाएगा।
कमलनाथ ने सूची जारी होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम भोपाल से प्रस्तावित कर सबको चौंका दिया था। नाथ ने कहा था कि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को उन सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए जहां से पार्टी 30-35 साल से चुनाव नहीं जीती है। मुख्यमंत्री ने दिग्विजय सिंह को भोपाल के इतर जबलपुर या इंदौर सीट से चुनाव लड़ने की सलाह भी दी थी। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए उन्हें "कहां से चुनाव लड़ना है" का फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया था। भोपाल में मिंटो हाॅल में होली मिलन समारोह में उन्होंने दिग्विजय सिंह के नाम की घोषणा भी कर दी थी।
2014 में जबलपुर में राकेश सिंह के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं थी। कांग्रेस में गुटबाजी का भी उन्हे फायदा मिला परंतु अब समीकरण बदल गए हैं। अब भाजपा में गुटबाजी है। भाजपा का एक बड़ा वर्ग नहीं चाहता कि राकेश सिंह शक्तिशाली हो जाएं। इधर विवेक तन्खा केवल सुप्रीम कोर्ट के वकील नहीं हैं बल्कि विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश भर के युवा उनसे जुड़ गए हैं। उन्होंने वकालत के अलावा भी कई काम किए हैं। कांग्रेस में इस समय विवेक तन्खा की अपनी टीम है। विधानसभा चुनाव की सक्रियता उन्हे लोकसभा चुनाव में फायदा पहुंचाएगी।