नई दिल्ली। होली (HOLI) के पहले लगने वाला होलाष्टक इस साल 14 मार्च से शुरू होकर 21 मार्च तक रहेगा। तिथि के हिसाब से होलाष्टक (Holashtk) फाल्गुन शुक्ल की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होगा। मान्यता है कि इन सात दिनों मे कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। क्योंकि माना जाता है कि इन सात दिनों में सभी नौ ग्रहों का स्वभाव यानी अष्टमी से पूर्णिमा तक सभी ग्रह उग्र रहते है।
ज्योतिष के अनुसार शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए ग्रहों का सौम्य होना जरूरी है। होलाष्टक के दिनों में ग्रहों के उग्र होने की वजह से नया व्यापार, गृह प्रवेश, विवाह, वाहन क्रय, जमीन व मकान की खरीदारी सहित अन्य मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। होलाष्टक के दौरान फागोत्सव की धूम रहेगी।
होलाष्टक समाप्त होने पर रंगों का त्यौहार धूमधाम के साथ खेला जाता है। वैसै तो रंगों का त्यौहार भारत के अलावा दूसरे देशों में भी रंगों में सराबोर होकर मनाया जाता है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में इसकी छटा देखते ही बनती है। ब्रजमंडल की लट्ठमार होली का रंग कुछ अलहदा होता है।
इसके साथ ही मथुरा, वृंदावन, बरसाना आदि जगहों पर रंगों के साथ फूलों का होली का भी विशेष महत्व है। ब्रज मंडल में भगवान श्रीकृष्ण को आराध्य मानकर होली का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने देश-दुनिया के लोग मथुरा आते हैं।