भोपाल। SARASWATI CO ED HIGHER SECONDARY SCHOOL BHOPAL के संचालकों पर आरोप है कि उन्होंने एक छात्रा को परीक्षा कक्ष में पूरे समय खड़े रखा क्योंकि उसके पिता ने नियत समय पर फीस अदा नहीं की थी। छात्रा ने 2 दिन तक खड़े रहकर उत्तरपुस्तिका लिखी। अब मामला सरकारी जांच की जद में आ गया है। यदि दोष प्रमाणित हुआ तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी एवं छात्रा को प्रताड़ित करने का आपराधिक प्रकरण (Criminal case) भी संबंधित शिक्षक, प्राचार्य व संचालक के खिलाफ दर्ज किया जाएगा।
मामला सरस्वती कोएड हायर सेकंडरी स्कूल का है। पीड़ित छात्रा 9वीं कक्षा में अध्ययनरत है। इस तरह की सजा के लिए प्राचार्य ने टीचर को आदेशित किया था। प्रिंसिपल का आदेश मानते हुए टीचर ने छात्रा को बैठने नहीं दिया। छात्रा ने कई बार गुजारिश की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दो दिन तक प्रताड़ना सहने के बाद छात्रा ने पिता से शिकायत की। जिसके बाद उसे शुक्रवार को बैठकर पेपर देने दिया गया। घटना के बाद स्कूल के प्रिसिंपल अजय खाड़े का कोई बयान सामने नहीं आया है।
पुष्पा मेडम ने की ने की सजा की पुष्टि
छात्रा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी ने दो दिन तक प्रताड़ित होती रही। गुरुवार रात उसने रोते हुए बताया कि आप फीस जमा कर दो नहीं तो आज भी खड़े होकर पेपर देना होगा। उसने बताया कि प्रिंसिपल ने उसे खड़े होकर पेपर देने की सजा दी। इसके बाद उन्होंने स्कूल जाकर प्रिंसिपल से बात की। पहले तो उन्होंने सजा की बात से इंकार किया। प्रिंसिपल ने कहा कि जिस टीचर के सामने खड़े होकर पेपर दिया उन्हें बुलाओ। इसके बाद खड़े होकर पेपर देने की पुष्टि पुष्पा मेडम ने की।
मुख्यमंत्री गंभीर
इस मामले को लेकर एक वीडियो बनाया गया। इसके वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संज्ञान लिया। उन्होंने अफसरों से कहा कि छात्रा से चर्चा कर घटना की जांच करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मानवीय मूल्यों के खिलाफ और गंभीर मामला है।
JJ Act's का उल्लंघन है
डीईओ ने घर पहुंचकर छात्रा और उसके पिता के बयान लिए। उन्होंने प्रारंभिक जांच में शिकायत और वायरल वीडियो को सही पाया। डीईओ का कहना है कि स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल ने इस मामले में जे जे एक्ट, शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन किया है। शनिवार को स्कूल स्टाफ और बच्चों के बयान लिए जाएंगे।
नहीं मांग सकते बच्चों से फीस
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कोई भी स्कूल बच्चों को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्कूल प्रबंधन पैरेंट्स से बातचीत कर मामले को सुलझाएं।
बृजेश चौहान, सदस्य बाल आयोग