भोपाल। एक उपभोक्ता ने अपने एसबीआई (STAT BANK OF INDIA) के बचत खाते में 15 जुलाई 2014 को 1 लाख रुपए का कॉर्पोरेशन बैंक ऑफ इंडिया का चेक जमा किया था। लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी चेक क्लियर नहीं हुआ और न ही चेक की राशि खाते में आई।
जब उपभोक्ता ने शाखा प्रबंधक से शिकायत की तो उससे कहा गया कि आप अपना मोबाइल नंबर नोट करवा दें तो आपको उक्त चेक समाशोधन संबंधी जानकारी प्रदान कर दी जाएगी। लेकिन इसके बाद भी बैंक ने न तो चेक क्लियर किया, न ही बाउंस होने के संबंध में कोई जानकारी दी। अब तक चेक की वस्तुस्थिति का पता नहीं चल सका है।
परेशान होकर पीड़ित व्यक्ति ने जिला उपभोक्ता फोरम (CONSUMER FORUM) में शिकायत की। इसके बाद फोरम ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बैंक ने उपभोक्ता को चेक की राशि का भुगतान न कर सेवा में कमी की है। फोरम ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों पर लोगों को भरोसा है, ऐसे में अगर बैंक उपभोक्ताओं को परेशान करेंगे तो कैसे चलेगा।
फोरम ने एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) को मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 10 हजार रुपए व वाद व्यय 3 हजार रुपए उपभोक्ता को देना का निर्देश दिया है। फैसला जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष आरके भावे, सदस्य सुनील श्रीवास्तव व सदस्य क्षमा चौरे की बेंच ने सुनाया।
इस मामले की याचिका बैरसिया रोड स्थित विश्वकर्मा नगर निवासी उदयप्रताप सिंह ने शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ लगाई थी। इस मामले में उपभोक्ता के एक लाख रुपए को लेकर कोई आदेश नहीं दिया गया। बैंक ने भी यह जानकारी नहीं दी कि एक लाख रुपए का चेक आखिर कहां चला गया। इससे उपभोक्ता को सीधे-सीधे एक लाख का नुकसान उठाना पड़ रहा है। फोरम ने भी चेक की राशि को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं दिया।