भोपाल। खाद्य पदार्थ बेचने वाली कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए अब शुद्ध, नेचुरल और प्योर जैसे लुभावने शब्दों का इस्तेमाल आसानी से नहीं कर पाएंगी। अपने उत्पाद के नाम के साथ ये शब्द छापने के साथ उन्हें लिखने की वजह भी डिब्बे या पैकिंग पर लिखना होगी।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने इसके लिए नियम बना दिया है, जो 1 जुलाई 2019 से लागू होगा। इसके मुताबिक यदि किसी कंपनी ने ये शब्द लिखने पर वैसी गुणवत्ता का पदार्थ नहीं दिया तो उनके खिलाफ दस लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने सभी प्रदेशों के खाद्य एवं औषधि विभागों को इस बारे में निर्देश जारी किए हैं।
भ्रमित हो रहे थे ग्राहक
एफएसएसएआई को शिकायतें मिली हैं कि घी, तेल, नमकीन आदि फूड प्रोडक्ट्स पर आकर्षक शब्द तो लिखे रहते हैं, लेकिन असलियत में उनकी गुणवत्ता वैसी नहीं होती है। इससे ग्राहक भ्रमित हो जाता है। उससे कीमत तो शुद्ध पदार्थ के नाम पर ली जाती है, लेकिन हकीकत बिलकुल विपरीत होती है। इसी के बाद यह नियम बनाया गया है।
ऐसे समझें पूरे मामले को
यदि कोई कंपनी पैकिंग पर नेचुरल लिख रही है तो अब उसे यह बताना होगा कि वह उत्पाद नेचुरल प्रोसेस से तैयार किया गया है। उसमें कृत्रिमता नहीं है। यानी उत्पाद को बनाने में प्राकृतिक विधियों का इस्तेमाल किया गया है। यदि शुद्ध लिखा है तो वह पूरी तरह मिलावट रहित होना चाहिए। उसमें अन्य किसी पदार्थ की मात्रा नहीं होना चाहिए। यदि प्योर कहा गया है तो वह एक ही पदार्थ से निर्मित होना चाहिए। उसमें कोई एडेड फ्लेवर्स या सिंथेटिक इंग्रीडिएंट्स नहीं मिले होना चाहिए।