देश में बड़े पैमाने पर लोगों के पास घर नहीं है। इसलिए किराये पर घर देकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। 2017 में रेंटल रियल एस्टेट मार्केट के एक करोड़ यूनिट तक होने का अनुमान लगाया गया था, जिसकी वैल्यू 22 अरब डॉलर (1.53 लाख करोड़) थी। 2023 तक इसके बढ़कर 1.8 करोड़ यूनिट्स और वैल्यू 41 अरब डॉलर (2.85 लाख करोड़) होने की उम्मीद की जा रही है। रेंटल रियल एस्टेट मार्केट के लिए रेंट से आमदनी बढ़ाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है।
खासतौर से पिछले दो-तीन साल से कम किराए और पूंजी में अनुमान से कम बढ़ोतरी ने निवेशकों को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि निवेश के बेहतर विकल्प, वैल्यू एडेड सर्विसेज और ऑनलाइन रेंटल कंपनियां देश के रियल एस्टेट मार्केट और निवेशकों के लिए खेल को बदलने वाले पहलू साबित हो सकते हैं। अगर आप नीचे दिए गए पहलुओं को ध्यान में रखें तो आप रेंट से आमदनी बढ़ा सकते हैं:
सस्ते घर में करें निवेश
मैजिकब्रिक्स के आंकड़ों के मुताबिक मिड-लेवल या लग्जरी सेगमेंट के मुकाबले किफायती घरों से ऊंची रेंटल यील्ड मिलती है। घरों की कैपिटल वैल्यू (प्रति वर्ग फुट) के आधार पर यील्ड में अंतर होता है। कई शहरों के रियल एस्टेट मार्केट के अध्ययन के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 6000 रुपये प्रति वर्ग फुट से कम कीमत वाली प्रॉपर्टी की एवरेज रेंटल यील्ड 3 पर्सेंट से ज्यादा है। वहीं 6000 रुपये प्रति वर्ग फुट से ज्यादा कीमत वाले प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड 2.4 पर्सेंट से 3 पर्सेंट के बीच है। इसका मतलब यह है कि ऊंची रेंटल यील्ड के लिए सस्ते घरों में निवेश करना चाहिए।
सस्ते रियल एस्टेट मार्केट में निवेश करें
घर खरीदने वाले लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि भले ही प्रॉपर्टी के दाम में व्यापक बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन मेट्रो शहरों के कुछ माइक्रो-मार्केट और बड़े शहरों में प्रॉपर्टी के दाम वाजिब स्तर पर हैं और उनसे निवेशकों को बढ़िया रिटर्न मिल सकता है। देश में प्रति वर्ग फुट एवरेज रेंटल यील्ड 3 पर्सेंट है, लेकिन कुछ माइक्रो-मार्केट्स में यह 4.5 पर्सेंट के आस-पास है। आमतौर पर देखा गया है कि कम कीमत में घर खरीदने पर रेंटल यील्ड ऊंची होती है। कोलकाता में सबसे ज्यादा 3.9 पर्सेंट की रेंटल यील्ड है, वहीं बारासात और गरिया जैसे इलाकों में यह क्रमश: 4.4 पर्सेंट और 4.3 पर्सेंट है। कोलकाता के अलावा बेंगलुरु, हैदराबाद, गाजियाबाद और अहमदाबाद में भी रेंटल यील्ड ऊंची है।
को-लिविंग सॉल्यूशंस
देश की कुल आबादी में करीब 30 पर्सेंट 18-35 आयु वर्ग के हैं और इनके बीच को-लिविंग स्पेस की भारी मांग है। फिर चाहें वो छात्र हों या दूसरे शहर में जाकर जॉब करने वाले प्रोफेशनल्स। कई को-लिविंग कंपनियां भी इनकी मांग को पूरा करने के सामने आई हैं। इस नए मॉडल में रेंटल यील्ड को बढ़ा कर 8 पर्सेंट तक ले जाने की क्षमता है। मैजिकब्रिक्स के मुताबिक, फिलहाल को-लिविंग की ज्यादातर मांग दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में है। अगर देश के टॉप-10 शहरों के कुल रेंटल मार्केट से तुलना करें तो सिर्फ 4 पर्सेंट रेंटल प्रॉपर्टी ही को-लिविंग है।
मैजिकब्रिक्स के आंकड़े यह भी बताते हैं कि सभी को-लिविंग प्रॉपर्टी में 70 से 90 पर्सेंट फुलीफर्निश्ड हैं, जबकि इसके मुकाबले रेजिडेंशियल मार्केट में यह आकंड़ा सिर्फ 10 से 30 पर्सेंट है। फर्निशिंग का प्रॉपर्टी के रेंट पर सीधा असर पड़ता है। देश भर में फर्निश्ड प्रॉपर्टीज की एवरेज यील्ड 3.3 पर्सेंट है। को-लिविंग कंपनियां भी इस तरह के अपार्टमेंट्स को अब पसंद कर रही हैं। हालांकि को-लिविंग मार्केट में कंपनियां जो सर्विस ऑफर करती हैं, वह इन्हें दूसरों से अलग करता है। ये कंपनियां फुलीफर्निश्ड अपार्टमेंट्स, सोशल इवेंट्स, बेरोक-टोक आवाजाही और दूसरी सुविधाएं ऑफर करती हैं।