भोपाल। मध्यप्रदेश में अघोषित बिजली कटौती के खिलाफ कमलनाथ सरकार का अभियान तेज हो चुका है। 492 अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई एवं जांच शुरू की गई है। वहीं ट्रिपिंग के मामलों में 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। बता दें कि 'ट्रिपिंग' यानी साजिश के तहत बिजली सप्लाई लाइन में फाल्ट करना। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार बाबई में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीहोर और भोपाल में दो-दो, राजगढ़ और होशंगाबाद में एक-एक एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई है।
अपर मुख्य सचिव ऊर्जा आईसीपी केशरी ने बताया कि आंधी-तूफान एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से जहां पूरे प्रदेश में 16 अप्रैल को 10 हजार 387 ट्रिपिंग हुई। वहीं 17 अप्रैल को 6 हजार 167 एवं 18 अप्रैल को 2 हजार 186 तथा 19 अप्रैल को एक हजार 639 और 20 अप्रैल को मात्र एक हजार 500 ट्रिपिंग हुई। इसी तरह 16 अप्रैल को जहां ट्रिपिंग के दौरान पूरे प्रदेश के फीडरों पर कुल 14 हजार 443 घंटे बिजली बाधित रही, वहीं 20 अप्रैल को मात्र 894 घंटे बिजली बाधित हुई।
लगातार बढ़ी विद्युत मांग
वर्ष 2017-18 में अप्रैल में बिजली की अधिकतम मांग 8 हजार 177 मेगावाट थी, जो वर्ष 2018-19 में 8 हजार 434 और वर्ष 2019-20 में 21 अप्रैल तक बढ़कर 9 हजार 443 मेगावाट हो गई है।
अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई
ऊर्जा विभाग द्वारा विद्युत प्रदाय में अनियमितता पर 165 अधिकारी-कर्मचारी को निलंबित, 87 को कारण बताओ नोटिस और 240 की सेवा समाप्त की गई हैं। निलंबितों में चार कार्यपालन अभियंता, 10 सहायक अभियंता, 35 कनिष्ठ अभियंता और 116 लाइनमैन शामिल हैं।