नई दिल्ली। यह देश के लिए सबसे बड़ी खबर है। सरकार के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात। अमेरिका ने भारत को भारी नुक्सान पहुंचाने वाला फैसला लिया है। इससे भारत का लगभग हर नागरिक प्रभावित होगा। अमेरिका के नए फैसले के बाद भारत अप्रैल के बाद ईरान से तेल नहीं खरीद पाएगा। यदि ऐसा हुआ तो भारत में पेट्रोल/डीजल के नाम 100 रुपए प्रतिलीटर की लाइन क्रॉस कर जाएंगे और देश में महंगाई के कारण हाहाकार की स्थिति निर्मित होगी।
भारत ने कहा: माकूल वक्त पर बयान जारी करेंगे
अमेरिका के व्हाइट हाउस ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी। व्हाइट हाउस ने कहा, 'बाजार को ईरानी तेल की आपूर्ति बंद होने की सूरत में अमेरिका, सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक मांग पूरी करने को लेकर समय पर कदम उठाने की सहमति जताई है।' अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत के सरकारी सूत्रों ने कहा है कि हम अमेरिका के विदेश मंत्री की घोषणा से अवगत हैं। हम फैसले के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और माकूल वक्त पर बयान जारी करेंगे।
ईरान पर लगीं पाबंदियां और सख्त कर दीं
व्हाइट हाउस के बयान के मुताबिक, 'ईरान की विध्वंसक गतिविधियों के कारण अमेरिका, हमारे साझीदारों, सहयोगी देशों और मध्य-पूर्व की सुरक्षा के लिए पैदा हुए खतरे को खत्म करने को लेकर ट्रंप सरकार तथा हमारे सहयोगी देश ईरान पर लगी आर्थिक पाबंदियों को बरकरार रखने तथा उसे और सख्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
टारगेट: ईरान के तेल कारोबार को बर्बाद करना
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैन्डर्स ने वाशिंगटन में कहा, 'राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मई की शुरुआत में समाप्त हो रही पाबंदी से छूट को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय किया है। इस निर्णय का मकसद ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लाना है। ईरान सरकार के राजस्व का यह प्रमुख स्रोत है।'
भारत सहित 8 देशों के लिए महत्वपूर्ण है ईरान का तेल
उल्लेखनीय है कि ईरान तथा विश्व की छह शक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते को ट्रंप द्वारा रद्द करने के बाद बीते साल नवंबर में अमेरिका ने ईरानी तेल के निर्यात पर प्रतिबंध दोबारा लगा दिया था। वाशिंगटन ने हालांकि इस प्रतिबंध से ईरानी तेल के आठ प्रमुख खरीदारों-भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली तथा ग्रीस को छह महीने तक की अवधि के लिए छूट दी थी। इस छूट के खत्म होने से एशियाई खरीदारों पर बड़ी मार पड़ेगी। ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीदार भारत तथा चीन हैं और दोनों देश प्रतिबंध से छूट पाने के लिए प्रयास में लगे थे। ट्रंप इस छूट को खत्म कर तेल की बिक्री में कटौती के जरिये ईरान पर 'अधिकतम आर्थिक दबाव' बनाना चाहते हैं, क्योंकि उसकी आमदनी का मुख्य स्रोत तेल की बिक्री ही है।