भोपाल। मध्यप्रदेश में अघोषित बिजली कटौती अब कमलनाथ सरकार और बिजली कंपनी कर्मचारियों के बीच युद्ध का कारण बन गई है। सरकार के पास पुख्ता प्रमाण हैं कि जनता को कांग्रेस के प्रति भड़काने के लिए कर्मचारियों का एक समूह अघोषित बिजली कटौती कर रहा है। अब सरकार ने उनका शिकार करना शुरू कर दिया है। पहली कार्रवाई में 89 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया जबकि 85 कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं।
बिजली कर्मचारियों की जासूसी करवा रही है सरकार
शुक्रवार को बिजली कंपनी ने अकेले इंदौर-उज्जैन संभाग में 174 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इधर, मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने बिजली कंपनियों के अधिकारियों और इंजीनियरों के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग की। इसमें साफ कर दिया गया कि कई जगह जानबूझकर सप्लाई बटन स्विच आफ किए जा रहे हैं। कुछ जगहों पर यह व्यवस्था आउट सोर्स है, जिसमें कुछ राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल हैं। इनका परीक्षण किया जा रहा है। सभी बिजली इंजीनियरों काे कहा गया है कि विद्युत आपूर्ति पर इंटेलिजेंस की नजर है। सीनियर अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
कुल 174 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई
इंदौर । बिजली कंपनी के अफसरों ने शुक्रवार को इंदौर-उज्जैन संभाग के 174 अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। इंदौर के 6 सहायक इंजीनियर और 10 लाइन मेन सहित 85 कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है, साथ ही 89 आउट सोर्स कर्मचारियों को सेवा से पृथक कर दिया गया है। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। बिजली कंपनी के कार्यपालक निदेशक गजरा मेहता ने बताया कि काम में लापरवाही बरतने वालों पर बड़ी कार्रवाई हुई है।
इसमें आंधी-तूफान और बारिश के दौरान इलाकों में लगातार लाइट बंद होने का मुद्दा मुख्य है। इंदौर के 6 सहायक इंजीनियर अभय पांडे, सीके चंदेल, राहुल यादव, भरत जैन, संजय कुलकर्णी और अमरसिंह सोलंकी को सस्पेंड किया गया है। इस कार्रवाई के बाद कंपनी के एमडी मनोज पुष्प ने कर्मचारियों-अधिकारियों को अपना व्यवहार सुधारने और कार्य में गंभीरता बरतने के लिए चेताया है।