छिंदवाड़ा: नकुल बाबा में कमलनाथ जैसा चार्म नहीं- इस बार, चुनाव में मज़ा नहीं यार | Anand Bandewar @ Chhindwara

Bhopal Samachar
छिंदवाड़ा से आनंद बंदेवार। ग्रामीण इलाकों में चुनाव की स्थिति देखकर लग रहा है, जैसे कि यहां पर चुनाव हो ही नहीं रहे हैं। आज छिंदवाड़ा के छोटे नगरों में नकुल नाथ का रोड शो था लेकिन कहीं से कहीं तक ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कांग्रेस का रोड शो है। कमलनाथ पहले जब इन क्षेत्रों में प्रचार करने निकला करते थे तो पूरा नगर जैसे किसी उत्सव की तैयारी से सराबोर हो जाया करता था। वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी भी अपनी तैयारी और प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ती थी और पूरा दम लगाती थी। 

छिंदवाड़ा लोकसभा 2019 का यह चुनाव बिल्कुल निराश कर देने वाला है ऐसा निराशा भरा चुनाव मैंने छिंदवाड़ा में आज तक नहीं देखा यहां ना तो किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नजर आता है नाही जनता में चुनाव को लेकर कोई विशेष चर्चा सुनाई देती है। अब ऐसा भी नहीं है कि चुनाव आयोग की इतनी अधिक सख़्ती है।

लेकिन जो भी हो यह लोकतंत्र के दृष्टिकोण से अच्छे संकेत नहीं हैं ऐसा मालूम पड़ता है जनता को मजबूरी में फैसला करना पड़ेगा क्योंकि उनके पास जो विकल्प उपलब्ध है उसमे से एक कांग्रेस और दूसरा बीजेपी ही मुख्य हैं। छिन्दवाड़ा की जनता के चश्मे में एक तरफ का शीशा कांग्रेस का है तो दूसरी तरफ का शीशा बीजेपी का है। इसीलिए तीसरे किसी विकल्प के विषय में छिंदवाड़ा की जनता कुछ विशेष राय नहीं रखती। हाँ कुछ उम्मीदें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से थी लेकिन उनके उम्मीदवारों ने पहले ही हथियार डाल दिए। यहाँ पर कमलनाथ रणनीति का और उनके बड़े कद का असर साफ देखा जा सकता है।

आसपास देखने पर केवल कांग्रेस के ही कुछ झंडे और बैनर दिखाई पड़ रहे हैं, वहीं ऐसा लग ही नहीं रहा कि बीजेपी भी मैदान में हैं, शायद गर्मी का असर कुछ ज्यादा ही है इसीलिए भी बीजेपी के नेता कार्यकर्त्ता धूप में निकल कर अपना रंग काला नहीं करना चाहते है। बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार नाथन शाह अपनी तरफ से पूरी कोशिश में तो जुटे हुए तो हैं, जनसम्पर्क कर रहे हैं, प्रचार कर रहे हैं लेकिन लग नहीं रहा कि जमीनी कार्यकर्ता उनके साथ है स्थानीय नेताओं का भी कोई अता पता नहीं। 

यानि अभी नत्थन शाह की नाव अभी उन्हें खुद ही चलानी पड़ेगी, क्योंकि अभीतक बीजेपी की तरफ से छिन्दवाड़ा में किसी बड़े चेहरे के कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा नहीं की गयी है और चुनाव प्रचार करने के लिए केवल दो चार दिन ही बचे हैं। अगर इस बीच नत्थनशाह की नाव में बीजेपी कोई स्टार प्रचारक इंजन लग गया तो शायद वे बेहतर टक्कर दे पाएं। वर्ना जनता तो ये मान रही है की, इस बार गेम एकतरफ़ा है और कह रही है कि 'इस बार, चुनाव में मज़ा नहीं यार'

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