इंदौर। स्कूल शिक्षा विभाग का गेस्ट फैकल्टी मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल अतिथि शिक्षकों का गलत ब्योरा जारी कर रहा है। मामला अनुभव प्रमाण-पत्र का है। इसमें बड़े पैमाने पर अफसरों की लापरवाही सामने आई है।
प्रमाण-पत्रों में शिक्षा सत्र, उसके महीने और वर्ग की जानकारी सहित कई स्तरों पर ढेरों गलतियां हैं। विभाग ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश के 70 हजार अतिथि शिक्षकों के अनुभव प्रमाण-पत्र पोर्टल पर अपलोड किए हैं। इंदौर सहित कई जिलों में जब शिक्षक इस पर अपने आईडी-पासवर्ड से वर्षवार अनुभव प्रमाण-पत्र का प्रिंट निकाल रहे हैं तो उन्हें सिर्फ 2009-10 का ही सर्टिफिकेट मिल रहा है। किसी भी सेशन पर क्लिक करने के बावजूद इसी साल की जानकारी सामने आ रही है।
नौकरी किए बिना अनुभव प्रमाण पत्र दे रहा है स्कूल शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग का पोर्टल इन दिनोें झूठे प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में सुर्खियों में है। जिन अतिथि शिक्षकों ने नौकरी की शुरुआत 2014 या 15 में की है, फिर भी उन्हें अनुभव प्रमाण-पत्र 2009 से मिल रहा है। उस दौर में अतिथि शिक्षक खुद ही विद्यार्थी थे। शिक्षा विभाग की जगहंसाई करने का कारण है विभाग द्वारा बनाया गया वह पोर्टल, जिसमें 2009-10 सेट हो चुका है। शिकायतें मिलने के बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जनवरी से दिसंबर का सत्र
स्कूल शिक्षा विभाग का सत्र प्रतिवर्ष जुलाई से शुरू होता है। इसी दौरान अतिथि शिक्षक रखे जाते हैं। यह सत्र अप्रैल तक चलता है। पोर्टल पर अतिथि शिक्षकों के जो अनुभव प्रमाण-पत्र जारी हो रहे हैं, उनमें जनवरी से दिसंबर लिखा आ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस अवधि में कोई शिक्षा सत्र नहीं चलता। इस वजह से जो शिक्षक जुलाई से दिसंबर तक पढ़ा चुके हैं, उनके चार-पांच महीनों का अनुभव गिना ही नहीं गया। शिक्षा विभाग के पोर्टल के हिसाब से उन्हें अनुभव की अवधि में नुकसान झेलना पड़ रहा है।