नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट (MADRAS HIGH COURT) के जस्टिस के के शशिधरन और जस्टिस पी जी ऑडीकेसवलू की खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक के कर्मचारी को सरकारी सेवक नहीं माना जा सकता (BANK EMPLOYEE ARE NOT A GOVERNMENT SERVANT)। कोर्ट ने कहा कि यह सही है कि आरबीआई की स्थापना संविधान के अनुछेद 12 के तहत की गई है। लेकिन तब भी कर्मचारी के लिए यह नहीं माना जा सकता है कि उसको सरकारी सेवक माना जाएगा।
हाईकोर्ट ने आरबीआई के कर्मचारी ई.विजय कुमार की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया। विजय ने याचिका में गुहार लगाई थी कि उसका तमिलनाडु लोकसेवा आयोग ने उसका परीक्षा परिणाम रोक रखा है। आयोग को लगा कि वो पहले से आरबीआई में काम करने के कारण एक सरकारी कर्मचारी है और उसने यह बात अपने आवेदन पत्र में छुपाई है।
विजय कुमार ने आवेदन पत्र में पूछे गए सवाल क्या आप सरकारी कर्मचारी हैं? तो उसने जवाब में न लिख दिया। विजय ने परीक्षा दी और उसको पुलिस उपाधीक्षक पद के लिए चुन लिया गया। हालांकि आयोग द्वारा छानबीन करने पर उसको गलत जानकारी देने का दोषी पाया गया।
हालांकि कोर्ट का तर्क था कि बैंक का कर्मचारी सरकारी सेवा में है, ऐसा नहीं माना जा सकता है। कोर्ट का मानना था कि विजय कुमार ने अपना आवेदन सही तरीके से भरा था। कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को एक हफ्ते के भीतर कुमार को पद पर नियुक्त करने का पत्र जारी करने का आदेश दिया है।