भाेपाल/मध्य प्रदेश। आयकर छापे से चर्चा में आए अश्विन शर्मा कई मामलों में उलझ गए हैं। आयकर कार्रवाई के अलावा जानवरों की खालों का मामला भी जांच की जद में है। अब एक नया मामला सामने आया है। अश्विनी शर्मा की पार्किंग में खड़ी जगुआर कार पर जो नंबर दर्ज है, वो तो आरटीओ ने किसी को आवंटित ही नहीं किया। वीआईपी नंबर होने के कारण उसे बंद कर दिया गया है। जगुआर कार पर 04 सीएस 0001 नंबर दर्ज है। आयकर विभाग ने सभी कारों को रिकॉर्ड पर ले लिया है।
आरटीओ दफ्तर के अफसरों ने बताया कि अश्विन के नाम से दाे कार रजिस्टर्ड हैं। इनमें से एक रेंज-राेवर है। जिसका नंबर एमपी 04 सीआर 0001 है। दूसरी कार लैंड-राेवर हैं, जाे परिवहन दफ्तर के रिकार्ड में ए-1 बिल्डकॉन एंड कंसलटेंट के नाम से रजिस्टर्ड हैं। इस कार का नंबर एमपी 04 सीएम 0001 है। इनकाे छाेड़कर काेई अन्य कार अश्विन अथवा उसकी कंपनी के नाम से रजिस्टर्ड नहीं है।
खरीदार नहीं मिलने पर दाे साल पहले बंद किया है ये नंबर
आरटीओ दफ्तर की रजिस्ट्रेशन शाखा के एक अफसर ने बताया कि एमपी 04 सीएस 0001 वीआईपी नंबर है। आनॅलाइन बिक्री में यह नंबर किसी ने भी नहीं खरीदा। इसके चलते दाे साल पहले बंद कर दिया गया। आरटीओ संजय तिवारी ने बताया कि आरटीओ के पास गाड़ी की जानकारी नहीं है।
अश्विन व उसकी पत्नी के पास 5 हथियार, पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज
टीटी नगर पुलिस थाना के रिकाॅर्ड के अनुसार अश्विन शर्मा काे आर्म्स लाइसेंस 2003 में जारी हुआ था। इस लाइसेंस पर अश्विन ने 12 बाेर की बंदूक खरीदी थी। इसी लाइसेंस पर अगले ही साल अश्विन ने 32 बाेर की पिस्टल खरीदी लेकिन, हथियार रखने का उसका शाैक यहीं नहीं रुका। वर्ष 2009 में अश्विन ने 366 बाेर की रायफल खरीदी। अश्विन की पत्नी के नाम एक रायफल और एक पिस्टल का लाइसेंस हैं। अश्विन के खिलाफ टीटी नगर पुलिस ने आर्म्स एक्ट और आबकारी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया है।
फ्लैट की छत पर पार्टियां होती थीं
छापे की कार्रवाई के दौरान अश्विन के घर से विदेशी शराब की 13 बोतल मिली थीं। अश्विनी ने फ्लैट की छत पर टेरेस बार बनवा रखा था, यहां आए दिन पार्टियां होती रहती थीं। प्रवीण कक्कड़ के नादिर कॉलोनी स्थित मकान से भी वहीं 1.94 लाख की विदेशी शराब बरामद की गई है। इसके अलावा प्रतीक जोशी के फ्लैट से भी विदेशी शराब जब्त की है।
सीआरपीएफ ने कहा- मप्र पुलिस ने हमारे जवानों से दुर्व्यवहार किया
कार्रवाई पूरी होने के बाद मीडिया से बातचीत में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट एमएस वर्मा ने सीधे मप्र पुलिस पर कार्रवाई में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा इस ऑपरेशन की जानकारी स्थानीय थाना इंचार्ज को नहीं दी गई थी।