भोपाल। हेमंत करकरे मामले में साध्वी प्रज्ञा (SADHVI PRAGYA SINGH THAKUR) ने पहले उन्हे देशद्रोही बताया, शहादत को कर्मों की सजा बताया, अपने बयान पर कायम रहीं, फिर यूटर्न लिया और स्पष्टीकरण दिया, इसके बाद फिर बयान दिया और करकरे को शहीद माना और अंत में अपने बयान के लिए माफी भी मांगी परंतु शनिवार सुबह इसी घाव को फिर से कुरेद दिया। भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने दोहराया कि मैं अनर्गल प्रलाप नहीं करती। जो बोलती हूं सोच समझकर बोलती हूं। आगे भी सोचकर बोलूंगी।
क्या अपने बयान पर कायम हैं प्रज्ञा सिंह
प्रश्न फिर वही उपस्थित हो गया है कि क्या प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपने बयान पर कायम हैं। यदि हां, तो कल शाम उन्होंने अपने शब्दों के लिए माफी क्यों मांगी। जो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर 24 दिन तक एटीएस की अमानवीय यातनाएं सहन करने के बाद भी झुकी नहीं, वो 24 घंटे तक पॉलिटिकल प्रेशर क्यों सहन नहीं कर पाई। क्या सांसद के पद का लालच देशभर की महिलाओं के गौरव से बड़ा हो गया।
क्या प्रज्ञा सिंह का भाजपा में भविष्य है
आरएसएस की विचारधारा से जुड़े विशेषज्ञ हरिहर निवास शर्मा का मानना है कि प्रज्ञा सिंह को भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था। उन्हे निर्दलीय चुनाव लड़ाना चाहिए था और भाजपा उनके समर्थन में अपना अधिकृत प्रत्याशी ना उतारती।