प्रकृति केन्द्रित विकास ही हल | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
इस वर्ष गर्मी के तेवर कुछ ज्यादा तीखे नजर आ रहे है | यह गर्मी पर्यावरण के साथ विकास का संतुलन न बैठ पाने का परिणाम है | सवाल यह है कि क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण संतुलित हो ? मनुष्य सहित सारे जीव सुखी हो |इसका एक ही उत्तर है, हमें अपने विकास के केंद्र को बदलना होगा और मानव केन्द्रित विकास के स्थान पर प्रकृति केन्द्रित विकास को अपनाना होगा |

आम तौर पर विकास के आधार के रूप में औद्योगिक विकास को ही विकास माना जाता है। खाद्य उत्पादन के लिए भी कृषि और सिंचाई पर जोर दिया गया है लेकिन वनों के महत्व के बारे में समझने के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया । वनों को सिर्फ उस भूमि को घेरना माना जाने लगा है जिन्हें खेती के लिए काटा जाता है। कृषि का उपयोग आम लकड़ी और ईमारती लकड़ी काटने के लिए भी किया गया है; पेड़ों को अंधाधुंध रूप से काटा गया है; आम तौर पर उन्हें नए पेड़ों के साथ बदलने की आवश्यकता के प्रति एक उदासीन रवैया है।जिससे  आज हम जंगल संपदा के मामले में गरीब होते जा रहे हैं और पर्यावरण के लिए कई गंभीर दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हैं।

वृक्षारोपण की सहायता से पृथ्वी हरी-भरी रहती है तो मनुष्य के पास कई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ हैं। ईंधन और लकड़ी से फल-फूलों, दवाइयों, एयर कंडीशनिंग, वर्षा का संतुलन, जैविक उर्वरक, मिट्टी के क्षरण की रोकथाम, बाढ़, फसलों की रक्षा के लिए कीड़े खाने वाले पक्षियों को आश्रय प्रदान करने जैसे अनगिनत लाभ हैं। जैसा कि स्कॉटिश वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट चेंबर्स ने लिखा है अगर जंगल नष्ट हो गया है तो वहां पानी की कमी होगी, भूमि की उर्वरता कम हो जाएगी और फसलों की पैदावार कम हो जाएगी, जानवर मर जाएंगे, पक्षी खत्म हो जायेंगे। वन-विनाश का अभिशाप पांच भयंकर परिणामों को जन्म देगा - बाढ़, सूखा, गर्मी, अकाल और रोग। हम अनजाने में वन संपदा को नष्ट कर देते हैं और जितना अधिक हमको फायदा मिलता उससे कहीं अधिक इससे नुकसान मिलता है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि पेड़ ऑक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पौधें सबसे आवश्यक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। इस तरह वृक्ष मनुष्य के जीवन के लिए आधार प्रदान करते हैं। इसके अलावा वनस्पति भी प्राणियों के लिए आहार बनाती है। वनस्पति हमारे लिए पोषण प्रदान करती है। पेड़ काटने की बजाए उन्हें लगाने की प्रवृति होना चाहिए। विशिष्ट अवसरों पर पेड़ को एक अनिवार्य उपहार बनाया जाना चाहिए। यदि हर व्यक्ति पेड़ लगाएगा तो पर्यावरण में काफी सुधार होगा। हवा साफ़ होगी, पेड़ों की संख्या में वृद्धि होगी और प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीनहाउस प्रभाव कम हो जाएगा। पौधों और पेड़ों का मनुष्य के लिए बहुत महत्व है। वे मानव जीवन का आधार हैं लेकिन आज मनुष्य उनके महत्व और उपयोग को समझने की बजाए उनकी उपेक्षा कर रहा है। उनके माध्यम से माध्यमिक लाभ पर नजर रखने के साथ हम लगातार उनका शोषण कर रहे हैं।

हम कमसे कम इतना तो कर ही सकते हैं |वन्यजीवों की खाल से बने उत्पादों को न खरीदें। अन्य देशों के लकड़ी के उत्पादों को तब तक न खरीदें जब तक कि आप यह नहीं जान लेते कि उनका संबंध पर्यावरण के अनुकूल आपूर्तिकर्ताओं से है। यह पता करना कि लकड़ी पर्यावरण के अनुकूल है या नहीं| उपयोग करने और फेंकने के नियम के विपरीत बचत सभ्यता को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अपनी खपत को कम करें। ईंधन कुशल कारों का प्रयोग करें | लगभग सभी चीजों का पुन:उपयोग किया जा सकता है। उन उत्पादों को खरीदने की कोशिश करें जो रीसाइक्लिंग होने में सक्षम हैं। कपड़ों के बैग का प्रयोग करें: पॉलिथीन और प्लास्टिक को ना कहें। ताजा पानी हमारे दैनिक जीवन की आवश्यकता है और साथ ही यह समय के साथ अधिक मूल्यवान हो रहा है और अगर हम इसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं | इन सबकी चिंता ही प्रकृति केन्द्रित विकास है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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