ELECTION: 1994 से लगातार चुनावी हार के बाद भी 23वीं बार फिर चुनाव लड़ने जा रहा आनंद चायवाला | MP NEWS

ग्वालियर। पीएम मोदी (PM MODI) अपने भाषणों में हमेशा से कहते आए हैं कि देश के लोगों ने एक चायवाले को सिर आंखों पर बिठाया और प्रधानमंत्री बनाया। उनके नाम के साथ 'चायवाला' (CHAIWALA) शब्द भी खूब चर्चा में बना रहता है। आपको जानकर हैरत होगी कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (GWALIOR) में एक और चायवाला है, जोकि 23वीं बार चुनाव लड़ने जा रहा है।  

इस चायवाले का नाम है आनंद सिंह कुशवाहा (Anand Singh Kushwaha) जो कि इस बार ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। आनंद सिंह इससे पहले 22 बार चुनाव हार चुके हैं। यहां तक कि उनकी जमानत भी जब्त हुई है और उनको आर्थिक नुकसान भी झेलाना पड़ा है, लेकिन इन सबके बावजूद वो लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं।

49 वर्षीय आंनद सिंह साल 1994 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। आंनद ने स्थानीय मीडिया को बताया कि लोगों के अलग-अलग शौक होते हैं, मेरा चुनाव लड़ना ही मेरा शौक है। मैं लोकतंत्र के इस पर्व का हिस्सा बनना चाहता हूं। देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इसे मैं अपना फर्ज मानता हूं। 

आनंद नगरपालिका चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक का चुनाव लड़ चुके है। और तो और, वह राष्ट्रपति के चुनाव के लिए भी कोशिश कर चुके हैं। वह कहते हैं कि चुनाव एक बेहद ही गंभीर मुद्दा है, जिसमें लोगों को जरुर शामिल होना चाहिए। 

22 चुनाव हारकर फिर से चुनावी मैदान में उतरे आनंद सिंह कहते हैं कि उम्मीद है कि मुझे बसपा से टिकट मिल जाए। फिलहाल मैंने चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में खुद को बसपा का उम्मीदवार बताया है। अगर, बसपा से टिकट नहीं भी मिला तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा और उम्मीद है कि इस बार जीत मिलेगी। आनंद सिंह ने 25 साल पहले पहली बार नगर निगम का चुनाव लड़ा था। 

आनंद सिंह कुशवाहा के परिवारवालों ने उन्हें समझाने की भरपूर कोशिश की, पर उन्होंने एक नहीं सुनी। अब उनके घर वाले आनंद सिंह के चुनाव लड़ने के फैसलें पर कुछ नहीं बोलते हैं। आनंद ग्वालियर के समाधिया कॉलोनी की गेट पर चाय की दुकान चलाते हैं।

नामांकन के वक्त दी गई जानकारी के अनुसार आनंद के पास नगद पांच हजार रुपए, पत्नी के पास मंगलसूत्र, एक साईकिल और अपना मकान है। इसके अलावा उनपर 12 हजार का बैंक का कर्ज और अलग से 60 हजार रुपये का कर्ज है।

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