उज्जैन। सरकारी डॉक्टर्स से की जा रही चार स्तरीय वेतनमान की रिकवरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद रिकवरी की प्रक्रिया को कोर्ट ने स्थगित करने के आदेश दिए हैं, इसके बाद भी यदि कोई रिकवरी कर रहा है तो उस अधिकारी को जेल भेज दिया जाएगा। अब प्रकरण में फाइनल बहस 29 जुलाई 2019 को होगी।
मामला क्या है
डॉक्टर्स को पहले मप्र शासन ने चार स्तरीय वेतनमान दिया और फिर रिकवरी निकाल दी। जिसके विरुद्ध डॉक्टर्स व मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा था। जहां से सिंगल बैंच ने आदेश जारी किया था कि डॉक्टर्स से गलत तरीके से रिकवरी की जा रही है जिसे तत्काल बंद किया जाए। उसके बाद प्रदेश शासन जबलपुर हाईकोर्ट की अपीलीय डबल बैंच में गया। जिसमें माननीय न्यायालय ने रिकवरी को चालू रखने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ डॉक्टर्स सुप्रीम कोर्ट गए, जहां से डॉक्टर्स से हो रही रिकवरी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था। 26 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में प्रकरण में सुनवाई हुई, जिसमें चिकित्सकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया व प्रशांत शुक्ला ने पक्ष रखते हुए कहा कि रोक के बावजूद डॉक्टर्स से रिकवरी की जा रही है।
मप्र शासन ने 10 सप्ताह तक भी नोटिस का जवाब प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए उन्हें और समय देना अनुचित है। फाइनल हियरिंग की जाए। माननीय न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता को बहस करने के लिए कहा तो उन्होंने तैयारी नहीं होने की बात कहते हुए अगली तारीख़ मांगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों को बता दो कि डॉक्टर्स से तत्काल रिकवरी बंद करें अन्यथा जेल में डाल दिया जाएगा। चिकित्सकों के अधिवक्ता ने प्रदेश शासन के खिलाफ कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का नोटिस भी जारी किया है।