भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से शिवराज सिंह शासनकाल में हुए घोटालों पर सरकार लगातार चुप्पी साधे बैठी थी परंतु सीएम कमलनाथ के करीबियों के यहां आयकर विभाग की छापामार कार्रवाई के बाद घोटालों की फाइल खोलना शुरू किया गया है। मध्य प्रदेश में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने राज्य में हजारों करोड़ रुपये के ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। इस घोटाले में कथित तौर पर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 'करीबी' नौकरशाह शामिल हैं।
5 विभाग, 7 कंपनियां और अज्ञात नौकरशाह व नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज
ईओडब्ल्यू के एडीजी एन तिवारी ने बताया कि पांच विभागों, सात कंपनियों और अज्ञात नौकरशाहों और राजनेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूत्रों ने कहा कि मंगलवार दोपहर को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बड़े पैमाने पर हुए इस डिजिटल घोटाले पर भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) के 'पॉजिटिव' रिपोर्ट भेजे जाने के बाद ईओडब्ल्यू को ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंजूरी का बेसब्री से इंतजार था।
80 हजार करोड़ का है ई-टेंडर घोटाला
तत्कालीन प्रमुख सचिव मैप-आईटी मनीष रस्तोगी ने ई-टेंडर घोटाला पकड़ा था। जल निगम के तीन हजार करोड़ के तीन टेंडर में पसंदीदा कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग की गई थी। ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टींम (सीईआरटी) को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी, जिसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है। इसकी जांच तीन हजार करोड़ से बढ़कर 80 हजार करोड़ के टेंडर तक चली गई है। बीते साल जून में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले में आईएएस राधेश्याम जुलानिया और हरिरंजन राव पर सवाल उठ चुके हैं।
अब कई घोटालों की फाइलें खुलने लगीं हैं
भाजपा सरकार के कार्यकाल में हो चुके घोटालों में अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने वाली फाइलों की जांच आगे बढ़ चुकी है। सूत्रों के मुताबिक जल्द फर्जी वेबसाइट, माखनलाल यूनिवर्सिटी (एमसीयू) और सांसद निधि खर्च में आर्थिक गड़बड़ियों और सांसद विकास निधि के खर्च में मनमानी के मामलों में भी एफआईआर दर्ज की जाएगी।