नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विस परीक्षा में इस बार सफल हुए उम्मीदवारों की कहानियां बड़ी रोचक हैं। बिहार राज्य के गया जिले के एक गांव का बालक मदरसे में पढ़ने गया, प्रतिभा ऐसी कि उसी मदरसा में मौलवी भी बना। मौलवी साहब यहीं नहीं रुके। सिविल सर्विस की तैयारी की और अब आईएएस बन गए।
जिस मदरसे में पढ़ाई की उसी में मौलवी बने
शाहिद रजा खान (SHAHID RAZA KHAN) ने अपने शुरूआती शिक्षा अपने गांव और फिर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के एक मदरसे से हासिल की है। मदरसे में पढ़ाई पूरी करके रजा ने मौलवी की पदवी हासिल की। उन्होंने बताया ''मेरी शुरुआती पढ़ाई एक छोटे से गांव के कस्बे में हुई। इसके बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित अल जमातुल अशर्फिया चला गया। वर्तमान में वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से पीएचडी (PhD) कर रहे हैं।
मां ने साथ दिया
मदरसे में पढ़ाई करने के दौरान ही वह सिविल सर्विसेज में जाने के लिए इच्छुक थे। जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। रजा ने बताया कि उनकी मां उन्हें हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। जीवन में मैं जो भी कुछ चाहता था उसके लिए मेरी मां ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने हमेशा मेरी पढ़ाई का ध्यान रखा।
मदरसा की वजह से अच्छा इंसान बन पाया हूं
मदरसे से पढ़ाई कर मौलवी बने रजा ने कहा ''कोई भी मदरसा, मस्जिद या फिर धर्म रूढ़िवादी नहीं होना चाहिए। धर्म हमें मानवता की सेवा करना सिखाता है, मैं भी यही करूंगा।' यहीं नहीं रजा ने अपनी सफलताओं का श्रेय मदरसा को भी दिया है। उन्होंने बताया कि मदरसा में मैंने जो भी शिक्षा ग्रहण की है उसकी वजह से मैं एक अच्छा इंसान बन पाया हूं। मदरसे ने मेरे अंदर आत्मविश्वास जगाया साथ ही मुझे ईमानदार और भरोसेमंद व्यक्ति बनाया।
कुल 30 मुस्लिम उम्मीदवार आईएएस बन गए
आपको बता दें, यूपीएससी परीक्षा के परिणाम 9 अप्रैल को जारी किए गए थे, जिसमें कुल 759 उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की थी। जिनमें 30 मुस्लिम उम्मीदवारों ने यूपीएससी परीक्षा पास की है। उत्तर प्रदेश के जुनैद अहमद ने तीसरा स्थान हासिल किया है। यूपीएससी परीक्षा 2017 में 990 उम्मीदवारों में से 52 मुस्लिम उम्मीदवार पास हुए थे।