भोपाल। भाजपा की सबसे वरिष्ठ महिला नेता सुमित्रा महाजन की राजनीतिक जिंदगी के ये सबसे बुरे दिन चल रहे हैं। वो इंदौर से अपनी पसंद का प्रत्याशी तय करवाने के लिए दिल्ली तक गईं। यहां उनका पीएम नरेंद्र मोदी से सामना तो हुआ लेकिन मुलाकात नहीं हुई। यहां तक कि अमित शाह ने भी ताई से मुलाकात नहीं की। बाद में शाह के नजदीकी से सुमित्रा महाजन ने बातचीत की और वापस लौट आईं।
2014 में सांसद चुने जाने के बाद जब सुमित्रा महाजन को लोकसभा स्पीकर चुना गया तो वो अचानक ही देश की सबसे प्रख्यात महिला नेता बन गईं थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव अधिसूचना से पहले वो आत्मविश्वास से इतनी लवरेज थीं कि नाम घोषित ना होने के बावजूद उन्होंने अपनी सुरक्षा वापस लौटा दी थी लेकिन अमित शाह के फार्मूला 75 में सुमित्रा महाजन भी शिकार हो गईं। वो आखरी समय तक लड़ीं परंतु जब 15 से ज्यादा लिस्टों में उनका नाम नहीं आया तो और ज्यादा अपमानित होने से बेहतर उन्होंने खुद रेस से बाहर हो जाना बेहतर समझा। इसके बाद कोशिश की गई कि किसी तरह सीट पर अपना नहीं तो अपने नजदीकी का कब्जा बना रहे।
इसी सिलसिले में सुमित्रा महाजन दिल्ली तक गईं। खबर थी कि महाजन दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से चर्चा करेंगी। इसके लिए उन्होंने मिलने का वक्त भी मांगा था। ताई यहां बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं। यहां उनका मोदी से आमना-सामना भी हुआ, पर एक-दूसरे का हाल जानकर दोनों चले गए। सूत्रों के मुताबिक ताई ने शाह से जुड़े एक बड़े नेता को इंदौर के लिए अपनी पसंद बता दी है।
इंदौर से अब तीन नाम अंतिम चर्चा में
इंदौर सीट के लिए अंतिम चर्चा में अब सिर्फ तीन नाम कैलाश विजयवर्गीय, शंकर लालवानी, गोपी नेमा ही पैनल में हैं। संभावना है कि इन्हीं में से पार्टी सोमवार शाम तक इंदौर का प्रत्याशी घोषित कर देगी। सूत्रों ने बताया कि ताई को मोदी-शाह से मुलाकात का वक्त नहीं मिल सका था। दोनों ही नेता चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं।