यदि आप अपनी बचत राशि (SAVING MONEY) का निवेश करने जा रहे हैं तो थोड़ा रुककर विचार कर लीजिए। अपनी इंवेस्टमेंट प्लानिंग (INVESTMENT PLANNING) में आप गोल्ड (GOLD) को भी शामिल कर सकते हैं। अनुमान है कि अगले 6 माह में यह चौंकाने वाला रिटर्न (HIGH RETURN) देगा। ऐनालिस्ट्स और ट्रेडरों का मानना है कि इस साल की दूसरी छमाही में गोल्ड से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
ऐनालिस्ट्स का अनुमान है कि गोल्ड 1,250 डॉलर से 1,350 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस की ऊपरी रेंज की ओर ट्रेड करेगा। उनका कहना है कि दूसरी छमाही में ग्लोबल लेवल पर अनिश्चिता बढ़ने के आसार हैं, ऐसे में गोल्ड का दाम चढ़ेगा। उनका यह भी मानना है कि सेंसेक्स के 39 हजार का लेवल पार करने से हो सकता है कि शेयरों की ओर निवेशकों का आकर्षण कम हो जाए क्योंकि वैल्यूएशन बहुत ज्यादा है और क्रूड ऑइल की चढ़ती कीमतों को देखते हुए शेयर मार्केट के बारे में यह अनिश्चितता भी है कि यह रिकवरी कायम रहेगी या नहीं।
"लंबी अवधि में गोल्ड से निश्चित रूप से बेहतर रिटर्न मिलेगा। डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से भारतीय बाजार में गोल्ड का दाम गिरा है। हालांकि क्रूड प्राइसेज में बढ़ोतरी के कारण रुपये में कमजोरी आ सकती है। ऐसा होने पर भारतीय बाजार में सोने का दाम मजबूत होगा। इससे निवेशक आकर्षित होंगे।"
-सुरेंद्र मेहता, नैशनल सेक्रटरी, इंडिया बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन
सोने में इस साल निवेशकों ने कुछ ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। गोल्ड का इंटरनैशनल स्पॉट प्राइस 1,346 डॉलर के हाई लेवल से पांच प्रतिशत गिरकर 1,275 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के आसपास आ चुका है। यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के निकलने की डेडलाइन बढ़ाए जाने और अमेरिका-चीन की व्यापार वार्ता में कुछ प्रगति दिखने के कारण गोल्ड प्राइस पर दबाव आया। अमेरिका और चीन के अब तक पॉजिटिव रहे इकनॉमिक डेटा और साथ ही दिखी इक्विटी रैली के कारण भी सुरक्षित निवेश के रूप में गोल्ड की मांग कम की है।
एचडीएफसी सिक्यॉरिटीज के सीनियर ऐनालिस्ट तपन पटेल ने कहा, 'हालांकि हमारा अनुमान है कि दूसरी छमाही ग्लोबल मार्केट्स के लिए अहम रहेगी। हमें उम्मीद है कि ग्लोबल इवेंट्स में अनिश्चितता के साथ गोल्ड प्राइस 1250-1350 डॉलर की ऊपरी रेंज में रहेगी। ईरान को प्रतिबंध से मिली छूट खत्म करने के अमेरिकी ऐलान और ओपेक देशों के उत्पादन कटौती जारी रखने से आयातक देशों के लिए इंपोर्ट कॉस्ट बढ़ेगी। इससे इक्विटी मार्केट्स पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऐसा होने पर सुरक्षित समझी जाने वाली ऐसेट्स की डिमांड ज्यादा हो जाएगी।'
अमेरिका और चीन की व्यापार वार्ता के बारे में अनिश्चितता के अलावा अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच टैरिफ वॉर की आशंका से भी गोल्ड प्राइसेज में रिस्क प्रीमियम ऊंचा रह सकता है। पटेल ने कहा, 'यूरोपियन यूनियन ने ब्रिटेन को निकालने के बारे में 31 अक्टूबर तक का समय दिया है। यह डेडलाइन करीब आने पर मार्केट्स में सतर्कता का माहौल रह सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दूसरे बड़े देशों के केंद्रीय बैंकों के नरम रुख ने ग्लोबल इकनॉमिक रिकवरी के बारे में चिंता बढ़ाई है। गोल्ड में निवेश करने वाले अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कॉमेंट्स पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। फेडरल रिजर्व ने पिछले सालभर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं की है।'
इंडिया बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन के नैशनल सेक्रटरी सुरेंद्र मेहता ने कहा, 'लंबी अवधि में गोल्ड से निश्चित रूप से बेहतर रिटर्न मिलेगा। डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से भारतीय बाजार में गोल्ड का दाम गिरा है। हालांकि क्रूड प्राइसेज में बढ़ोतरी के कारण रुपये में कमजोरी आ सकती है। ऐसा होने पर भारतीय बाजार में सोने का दाम मजबूत होगा। इससे निवेशक आकर्षित होंगे।'