भोपाल। 3000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में EOW के हाथ तीन नौकरशाहों के खिलाफ पर्याप्त सबूत एवं गवाह मिल गए हैं। ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टरों ने ना केवल तीनों के नाम बताए थे बल्कि तीनों के खिलाफ सबूत जुटाने में भी टिप्स दिए थे। अब जल्द ही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा तीनों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
अब तक इनके खिलाफ हुई कार्रवाई
ईओडब्ल्यू ने पहले ही ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीनों डायरेक्टर्स और एमपीएसईडीसी के इंचार्ज नंद कुमार ब्रह्म से पूछताछ की है। इसके बाद EOW ने एंट्रेंस सिस्टम लिमिटेड कंपनी बेंगलुरू के वाइस प्रेसिडेंट मनोहर एनएम से भी पूछताछ की है। इन सभी आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि आईएएस अफसरों के कहने पर उन्होंने ही टेंडरों में टेंपरिंग की है।
तीनों के लिखाफ पर्याप्त गवाह और सबूत जुटाए
बताया जा रहा है कि ईओडब्ल्यू ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीनों डायरेक्टर्स के धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी दर्ज करवा दिए हैं। ईओडब्ल्यू के हत्थे चढ़े चारों आरोपियों से पूछताछ के बाद ही इस घोटाले में कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। सूत्रों की मानें तो आरोपियों ने पूछताछ के बाद यह स्वीकार किया है। 3 आईएएस अफसरों के कहने पर उन्होंने ई-टेंडर में टेंपरिंग की थी। उनके डिजिटल सिग्नेचर भी आरोपियों के पास रहते थे। इस घोटाले में आईएएस अफसरों की कॉल डीटेल्स भी ईओडब्ल्यू ने निकाल ली है।
व्हिसल ब्लोअर मनीष रस्तोगी ने बताया कैसे हुआ था घोटाला
वहीं यह भी माना जा रहा है कि टेंपरिंग में जिस तरह का तौर-तरीका अपनाया गया था, उससे यह भी साबित होता है कि इसमें आला अफसरों की मिलीभगत थी। इधर एमपीएसईडीसी के एमडी रह चुके और इस घोटाले को पकड़ने वाले आईएएस अफसर मनीष रस्तोगी का भी ईओडब्ल्यू ने बयान दर्ज कर लिया है। मनीष रस्तोगी ने भी आईएएस अधिकारियों की मिलीभगत का जिक्र किया है। माना जा रहा है कि इस हज़ार करोड़ के ई टेंडर घोटाले की गाज जल्द ही तीनों आईएएस अफसरों पर गिर सकती है। हालांकि इस बारे में ईओडब्ल्यू के अधिकारी कुछ भी खुलकर बोलने से बचते नज़र आ रहे हैं।