भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार ने नई रेत नीति (sand policy) का खाका तैयार कर लिया है। जिस पर 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अंतिम मुहर लगेगी। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की आचार संहिता (Code of conduct) समाप्त होने के बाद यह मसौदा कैबिनेट (Cabinet) की मंजूरी के लिए जाएगा और जुलाई या अगस्त में इसे लागू कर दिया जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि ग्राम पंचायतों को रेत खदानें (Sand mines) सौंपने से राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 250 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए राज्य सरकार नई रेत नीति ला रही है। इसमें रेत खदानें एक बार फिर ठेकेदारों के आधिपत्य में चली जाएंगी। हालांकि नीति में ग्राम पंचायतों का भी ध्यान रखा गया है। सरकार ने राजस्थान मॉडल को आत्मसात करते हुए नई नीति तैयार की है।
इसके लिए मंत्रिमंडल की पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिसने तीन बैठकें कर रेत नीति के मसौदे को अंतिम रूप दिया है। कमेटी के सदस्यों का मानना है कि नई रेत नीति लागू होने पर रेत खनन से प्रदेश की वार्षिक आय पांच गुना (250 से 1250 करोड़ रुपए तक) बढ़ जाएगी। कमेटी ने खनिज विभाग (Mineral department) के लिए यही लक्ष्य भी तय किया है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार बीते वित्तीय वर्ष 2017-18 में ही रेत नीति लाई थी। इसमें रेत खनन के अधिकार ग्राम पंचायतों को दे दिए गए थे। इससे खनिज विभाग (Mineral department) की आमदनी छिन गई और इस बार विभाग को रेत खनन (Sand mining) से राजस्व (Revenue) ही नहीं मिला।
कमेटी में यह मंत्री / This minister in the committee
नई रेत नीति के लिए गठित की गई मंत्रिमंडल की पांच सदस्यीय कमेटी में खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल, वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर, वित्त मंत्री तरुण भनोत, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट, नर्मदाघाटी विकास एवं पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल को रखा गया है।
सात राज्यों की नीति का अध्ययन / Study of Policy of the Seven Kingdoms
मंत्रिमंडल सदस्यों की कमेटी ने गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु की रेत नीतियों (The sand policies of Gujarat, Telangana, Rajasthan, Uttar Pradesh, Chhattisgarh, Maharashtra and Tamilnadu) का अध्ययन किया है। इनमें से राजस्थान की नीति से कमेटी सहमत है।
नई रेत नीति में क्या / What's in the new sand policy
- जीपीएस से होगी रेत खदानों और वाहनों की निगरानी।
- खदानों का मालिकाना हक ठेकेदारों को दिया जाएगा।
- ऑनलाइन एंट्री पास व्यवस्था बंद की जाएगी।
- रेत भंडारण के अधिकार सिर्फ खदान मालिक को रहेंगे।