देश का पहला आतंकी भी संघी ही था: शोभा ओझा का विवादित बयान | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज एक विवादित बयान दिया है। पीसीसी से जारी प्रेस रिलीज में उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करना संघियों के लिए कोई नई बात नहीं। महात्मा गांधी की हत्या करने वाला इस देश का पहला आतंकी भी संघी ही था। शोभा ओझा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह के उस वक्तव्य की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘‘आतंकवाद तो त्याग, तपस्या और बलिदान का प्रतीक है।’’ 

महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघियों ने मिठाईयां बांटी थीं

श्रीमती ओझा ने कहा कि भाजपा की मातृसंस्था आरएसएस की स्थापना के समय से ही, उसके नेताओं की सोच आतंकवाद के समर्थन की रही है। सभी जानते हैं कि इस देश  का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे, जिसने महात्मा गांधी की हत्या की, वह संघ का ही स्वयंसेवक था। देश कभी यह भूल नहीं सकता कि बापू की हत्या के बाद, वो संघी ही थे, जो खुशी से मिठाइयां बांट रहे थे और जिसके कारण देश के गृहमंत्री सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध भी लगाया था। 

आरएसएस के लोग अंग्रेजों के लिए क्रांतिकारियों के विरूद्ध मुखबिरी करते थे

श्रीमती ओझा ने कहा कि जहां राकेश सिंह ने अपने भाषण में आतंकवाद को त्याग, तपस्या और बलिदान का प्रतीक बताया है, वहीं प्रज्ञा ठाकुर ने, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह को आतंकी बताया और शहीद हेमंत करकरे की शहादत का उपहास उड़ाते हुए, उनका अपमान भी किया है। ये बातें, महज संयोग नहीं कही जा सकतीं, यह संघ और संधियों की उसी सोच का परिचायक है, जिसके उदाहरण, इस देश के लोग आजादी के पहले से ही देखते आए हैं। सभी जानते हैं कि देश जब स्वतंत्रता की लड़ाई में मशगूल था, तब संघ के नेता अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर स्वतंत्रता की लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे, वे अंग्रेजों के हित में, क्रांतिकारियों के विरूद्ध मुखबिरी करते थे, उनके खिलाफ हलफनामे देते थे, और केवल यही नहीं, संघ ने अंग्रेजों के समर्थन में, भारत छोड़ो आंदोलन का भी विरोध किया। भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम स्वरूप, जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया, तब नाराज संघियों ने, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या भी करवा दी।

इनसे राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की अपेक्षा नहीं

देश  की आजादी के बाद भी संघ, कैसी-कैसी घटनाओं में शामिल रहा है, सारा देश जानता है। देश के लिए इन्होंने कभी कोई कुर्बानी नहीं दी, यह भी किसी से छिपा नहीं है, इसलिए ऐसे संगठन के लोगों और नेताओं द्वारा आतंकवाद का समर्थन करना, एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इनसे हम राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की अपेक्षा कर भी कैसे सकते हैं?

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