नमस्कार। बीजेपी सरकार ने भोपाल के विकास के दावे किए मगर बिना नियोजन और आधे अधूरे काम ने शहर को 'दिखावटी विकास' ही दिया। अधूरी नर्मदा जल प्रदाय योजना और बीआरटीएस का फ्लॉप क्रियान्वयन इसका उदाहरण है।
दावा था कि कोलार की पूरी लाइन को बदल कर शहर के हर घर तक नर्मदा का पानी पहुंचाया जाएगा। हुआ यह कि 2007 से शुरू हुआ काम अब तक पूरा नहीं हो पाया। 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए। नगर निगम के 19 जोन में से 11 में नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा। 'दिखावटी विकास'!
मिसरोद से बैरागढ़ तक 24 किमी लम्बे 329 करोड़ रुपए के बीआरटीएस ने दर्द ही दिया। इसके प्लान में जितने वादे किए थे, सब अधूरे रहे। लालघाटी से बैरागढ़ तक सर्विस रोड नहीं है, फुटओवर ब्रिज नहीं, कट प्वाइंट पर सिग्नल नहीं, न उचित स्टॉपेज बने न आवागमन आसान हुआ। 'दिखावटी विकास'!
जनता की तकलीफ दूर करने की जगह वे सायकिल ट्रैक और स्मार्ट रोड जैसी 'सजावट' में करोड़ों रुपए फूंकते रहे। आप ही सोचिये कितना असरकारी रहा है यह 'दिखावटी विकास'?
आपकी हिस्सेदारी, मेरी जिम्मेदारी। नर्मदे हर।
लेखक श्री दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भोपाल से कांग्रेस के प्रत्याशी है।