Navratri Prasad list for fulfill your wish
नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2020: हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और मां दुर्गा का जन्म हुआ था। माता के भक्त मां को प्रसन्न् करने के लिए साल में दो बार शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का व्रत रखते हैं। चैत्र नवरात्र हर वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 24 मार्च दोपहर 2:57 बजे से शुरु हो रहे हैं। बता दें, चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दोपहर 2:57 बजे से शुरु होकर 25 मार्च दोपहर 5:26 बजे तक रहेगी। खास बात यह है कि इस बार चैत्र नवरात्रि के व्रत में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। जिसकी वजह से माता के भक्त पूरे नौ दिनों तक मां की पूजा अर्चना और व्रत कर पाएंगे। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. तिथि और देवी के अनुसार उन्हें अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है।
देवी शैलपुत्री को भोग में क्या अर्पित करें
चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन माता को गाय के दूध से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है। पिपरमिंट युक्त मीठा मसाला पान, अनार और गुड़ से बने पकवान भी देवी को अर्पण किए जाते हैं। वहीं फल में देवी शैलपुत्री को एक अनार का फल जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अनार चढ़ाने से देवी जल्द प्रसन्न होती हैं। अनार उनका प्रिय फल भी माना जाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी को भोग में क्या अर्पित करें
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा होती है। मातारानी को को चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। देवी को इस दिन पान-सुपाड़ी भी चढ़ाएं। इस दिन प्रसाद के तौर पर देवी को 2 सेब का भोग लगाया जाता है।
देवी चंद्रघंटा को भोग में क्या अर्पित करें
तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। गुड़ और लाल सेब भी मैय्या को बहुत पसंद है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। देवी चंद्रघंटा को 3 केले भी अर्पण करें।
देवी कुष्मांडा को भोग में क्या अर्पित करें
चौथे दिन चौथे स्वरूप यानि इस दिन देवी कुष्मांडा की पूजा होती है। इनकी उपासना करने से जटिल से जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाएं। चौथे दिन देवी कुष्मांडा को 4 नाशपाती का भोग लगाया जाता है।
देवी स्कंदमाता को भोग में क्या अर्पित करें
नवरात्र के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की की गई पूजा से भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। नवरात्र के पांचवे दिन देवी को लगाएं केले का भोग या फिर इसे प्रसाद के रूप में दान करें। इस दिन बुद्धि में वृद्धि के लिए माता को मंत्रों के साथ छह इलायची भी चढ़ाएं। फल में देवी स्कंदमाता को अंगूर के 5 गुच्छे चढ़ाएं।
देवी कात्यायनी को भोग में क्या अर्पित करें
छ्ठे दिन देवी कात्यायनी की आराधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शहद का भोग लगाकर मां कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है। कात्यायनी माता को फल में 6 अमरूद भी अर्पित कर उन्हें प्रसन्न करें।
देवी कालरात्रि को भोग में क्या अर्पित करें
नवरात्र सांतवे दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। भूत-प्रेतों से मुक्ति दिलवाने वाली देवी कालरात्रि की उपासना करने से सभी दुख दूर होते हैं। माता को लगाएं गुड़ के नैवेद्य का भोग। नवरात्र के सांतवे दिन 7 चीकू का प्रसाद लगाएं।
देवी महागौरी को भोग में क्या अर्पित करें
नवरात्र के आंठवें दिन महागौरी के स्वरूप का वंदन किया जाता है। इस दिन देवी को नारियल प्रसाद चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। महागौरी की पूजा करने के बाद पूरी, हलवा और चना कन्याओं को खिलाना शुभ माना जाता है। महागौरी को फल में शरीफा का प्रसाद चढ़ाएं। इनकी पूजा से संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
देवी सिद्धिदात्री को भोग में क्या अर्पित करें
नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को जगत को संचालित करने वाली देवी कहा जाता है। इस दिन माता को हलवा, पूरी, चना, खीर, पुए आदि का भोग लगाएं। नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को 9 संतरे का प्रसाद लगाना शुभ माना जाता है।