भोपाल। 2.3 अरब डॉलर की कीमत वाले भारतीय नौ सेना के सबसे महत्वपूर्ण युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य को बचाते हुए मध्यप्रदेश के रतलाम का सपूत धर्मेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गया। वो नौ सेना में लेफ्टिनेंट कमांडर थे। पिछले माह ही उनका विवाह हुआ था। शनिवार को उनकी पार्थिक देह रतलाम आएगी जहां उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
एक माह पहले ही हुई थी शादी, आगरा में ससुराल
बेंगलुरु के पास कारवार में युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आग लग गई थी। सेकेंड लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह और एक अन्य नेवी ऑफिसर ने अपनी जान की परवाह किए बिना आग पर काबू पा लिया लेकिन आग की लपटों और धुएं की वजह से धर्मेंद्र बेहोश हो गए। धर्मेंद्र को कारवास स्थित नेवी अस्पताल में ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है। धर्मेंद्र की एक महीने पहले ही आगरा की करुणा सीन से शादी हुई थी। पत्नी के अलावा धर्मेंद्र के परिवार में उनकी मां टमा कुंवर और बहन ज्योति सिंह हैं। धर्मेंद्र की शहादत की खबर मिलने के बाद परिवार सदमें में है। रतलाम शहर में सेकंड लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह की शहादत की खबर मिलने से शोक की लहर फैल गई। शहीद धर्मेंद्र सिंह का पार्थिव देह शनिवार को रतलाम लाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जानिए क्या है विक्रमादित्य और क्यों इसे बचाने के लिए जान पर खेल गए धर्मेंद्र
विक्रमादित्य 45300 टन भार वाला, 284 मीटर लम्बा और 60 मीटर ऊँचा युद्धपोत है। तुलनातमक तरीके से कहा जाए तो यह लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर तथा ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत के बराबर है। इस पर मिग-29-के (K) लड़ाकू विमान, कामोव-31, कामोव-28, सीकिंग, एएलएच ध्रुव और चेतक हेलिकॉप्टरों सहित तीस विमान तैनात और एंटी मिसाइल प्रणालियां तैनात होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप इसके एक हजार किलोमीटर के दायरे में लड़ाकू विमान और युद्धपोत फटक नहीं सकेंगे। 1600 नौसैनिकों की पूरी फौज इसके अंदर होती है।