भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार बनाईं गईं विहिप नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भले ही देश भर का चर्चित चेहरा बन गईं हों और पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर मुंबई के मुख्यमंत्री तक उनके समर्थन में बयान दे रहे हों परंतु भोपाल के स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपना नेता मानने से इंकार कर दिया है। यह मैसेज लाउड एंड क्लीयर दिया गया है। हालात यह बने कि प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे तिलमिला उठे और अपने ही विधायकों के खिलाफ बोलने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने कार्यकर्ताओं को चुनाव बाद देख लेने की धमकी भी दी।
प्रज्ञा सिंह की तैयारियों के लिए मीटिंग बुलाई थी, कोई नहीं आया
भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह के चुनाव की तैयारी के लिए प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने भोपाल के विधायकों, पूर्व विधायकों, जिलाध्यक्ष, पार्षद, पूर्व पार्षद और जिला पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी लेकिन हालात यह बने कि आमंत्रित नेताओं में से 25 प्रतिशत ही उपस्थित हुए। ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता नहीं आए। बैठक 4 बजे बुलाई गई थी। विनय सहस्त्रबुद्धे नियत समय पर उपस्थित हुए परंतु शाम 5 बज तक वो सबका इंतजार करते रहे। फिर जितने आए थे, उनसे ही बात की।
विनय सहस्त्रबुद्धे ने कार्यकर्ताओं को धमकी दी
यह देख सहस्त्रबुद्धे भी गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा कि भोपाल संसदीय सीट का चुनाव हाईप्रोफाइल है। यह विचारधारा को लेकर लड़ा जा रहा है। इसमें सभी काे काम करना है। जो काम नहीं कर रहे, उनकी जानकारी है। ऐसे लोगों के बारे में पार्टी बाद में विचार करेगी।
कार्यकर्ताओं ने कहा: महत्व ही नहीं मिल रहा, घर बैठे हैं
बैठक में आए कार्यकर्ताओं ने विनय सहस्त्रबुद्धे को बताया कि उन्हे पार्टी में महत्व ही नहीं मिल रहा। प्रत्याशी की तरफ से कोई जानकारी ही नहीं आ रही। वो कहां जा रहीं हैं, कब जा रहीं हैं कुछ पता नहीं चलता। पार्टी कार्यालय से भी समन्वय नहीं हो रहा है। इसलिए सब घर बैठे हैं।
भोपाल से बड़े नेताओं में से सिर्फ 3 आए
सहस्त्रबुद्धे ने पहले विधायकों-पूर्व विधायकों की बैठक बुलाई थी। इसमें सिर्फ पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह और शैलेंद्र प्रधान पहुंचे। पूर्व विधायक रमेश शर्मा ने यह कहकर नहीं आए कि उनकी पीरगेट पर वरिष्ठ नेताओं से बात हो गई है। सुरेंद्रनाथ सिंह, कृष्णा गौर, रामेश्वर शर्मा, जितेंद्र डागा, सुदेश राय, विष्णु खत्री समेत कई लोग नहीं आए।
पार्षद, पूर्व पार्षद और संगठन के पदाधिकारी भी नहीं आए
इसके बाद पार्षदों, पूर्व पार्षदों व जिला पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें कुल 56 में से 38 पार्षद, 120 पूर्व पार्षदों में से 32 ही आए। जिला पदाधिकारियों में मालती राय, सुषमा साहू, मीना राठौर और रामेश्वर राय दीक्षित समेत कई नेता नहीं आए।
प्रदेश प्रभारी विधायकों से नाराज
प्रदेश प्रभारी ने इन स्थितियों को गंभीरता से लिया है। संगठन का कहना है कि विधायकों के कहने पर चलने वाले इन पार्षदों के बारे में भविष्य में निर्णय लिया जाएगा।