SHIVPURI के शिक्षा विभाग में सिर्फ DEO का नाम बदला है | KHULA KHAT @ EDUCATION DEPARTMENT

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महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि शिवपुरी जिले में शिक्षा विभाग को पैसा कमाने के लिहाज से सुरक्षित शिकारगाह माना जाता है। अगर कोई दबंग और पहुंच वाला व्यक्ति जिला शिक्षा अधिकारी बन कर आ जाता है तो सब तरफ उसका ख़ौफ़ छा जाता है, वो जहां भी कदम रख देता है नोट बरसने लगते हैं।

अगर कुछ समय पहले का याद हो तो शिवपुरी के एक पूर्व डीपीसी जो स्वयं को बेहद ही ईमानदार बताते थे उन्होंने ही वित्तीय अनियमितता के चलते एक शिक्षक को निलंबित किया था बाद में उन्होंने उसे ही अपना दांया हाथ बना लिया था और बाद के सारे निरीक्षण उसे साथ ले जा कर किये जब तक कि भोपाल समाचार पर ये खबर प्रकाशित नहीं हुई। बाद में उसे कागजी तौर पर हटा दिया।

वर्तमान में वही घटनाक्रम फिर से दोहराया जा रहा है नवागंतुक डीईओ महोदय को भी उनमें विशेष प्रतिभा दिखाई दी है और उन्होंने दो विशेष प्रतिभावान हस्तियों को अपना दांया और बांया हाथ बना लिया है और निरीक्षण प्रारम्भ कर दिए हैं। पूरा जिला इनकी निरीक्षण करने और आर्थिक समस्याओं को हल करने की दक्षता से वाकिफ है इसलिए डीईओ महोदय को भी जिले के कर्मचारियों में से इन कोहिनूर के हीरो को ढूंढ निकालने में कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी।

22 अप्रैल को निरीक्षण किया 25 अप्रैल तक अपलोड क्यों नहीं किया

अभी परसों 22 अप्रैल को ही श्रीमान ने उत्कृष्ट विद्यालय कोलारस का निरीक्षण किया, निरीक्षण के दौरान श्रीमान प्राचार्य कक्ष में बैठे रहे। सारा निरीक्षण विशेष निरीक्षण योग्यताधारी ने किया। उन्ही ने आर्थिक विन्दुओं पर चर्चा की जो कि पिछले वर्षों से कहीं बड़े स्तर की रही। खास बात ये की निरीक्षण आज दिनांक तक एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज नहीं किया गया। मैं इन्हें एक कहावत याद दिलाना चाहता हूं कि "डायन भी सात घर छोड़ कर खाती है"।

एक विशेष बात इन प्रतिभावान कर्मचारियों की संपत्ति पर आज तक गौर नहीं किया है जिले में स्थित मकान और भोपाल के पॉश इलाकों में स्थित मकान और प्रॉपर्टी इनकी विशेष प्रतिभा के प्रमाण है। जिले के शिक्षक आज तक इन लोगों की प्रतिभा की प्रंशसा करते नहीं थकते थे अब वो श्रीमान जिला शिक्षा अधिकारी महोदय की भी भूरी भूरी प्रंशसा कर रहे हैं।

संपादक महोदय आपसे निवेदन है इस संबंध में जॉच करे और इस मुद्दे को अपने स्तर से उठाएं ताकि शिवपुरी के शिक्षकों और प्राचार्यों का मानसिक और आर्थिक शोषण बंद हो सके अन्यथा ऐसा न हो कोई आत्मसम्मानी शिक्षक इससे त्रस्त होकर कोई अनुचित कदम उठा ले।
धन्यवाद
कृपया पहचान उजागर ना करें।

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