भोपाल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब दिग्विजय सिंह की तरह किसी भी चुनौतीपूर्ण सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। इससे पहले तक वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे। विदिशा लोकसभा सीट से उनकी पत्नी साधना सिंह का नाम चलाया जा रहा था। बता दें कि मध्यप्रदेश की गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर शिवराज सिंह की सबसे ज्यादा डिमांड है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार को भिंड में एक प्राइवेट स्कूल का शुभारंभ करने गए थे। वहीं पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मेरा मन नहीं है कि लोकसभा का चुनाव लड़ूं। अभी विधायक हूं। पार्टी कह देगी तो भोपाल क्या राघौगढ़ से भी लड़ जाउंगा। भोपाल में कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के सामने चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमारा साधारण कार्यकर्ता भी दिग्विजय सिंह को हरा देगा। विदिशा में पत्नी साधना सिंह के चुनाव लड़ने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगी। कार्यकर्ता प्रेम से नाम लेते हैं।
शिवराज सिंह गुना से ही क्यों
दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछले शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले कांग्रेस में कोई नेता है तो वो ज्योतिरादित्य सिंधिया ही है जो जनता के बीच जाकर उसे सम्मोहित करने की क्षमता रखता है। अटेर और कोलारस के उपचुनाव में शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मुकाबला हुआ था लेकिन यह इतिहास में दर्ज नहीं हो पाया। शिवराज सिंह, दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक चुनाव लड़ चुके हैं। लोग चाहते हैं कि एक बार शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सीधा मुकाबला हो।
इससे भाजपा को क्या फायदा होगा
अमित शाह चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने ऐसी चुनौती पेश की जाए कि वो अपनी सीट पर बंधकर रह जाएं और उत्तरप्रदेश में ठीक प्रकार से काम ना कर पाए। शिवराज सिंह को लड़ाने से यह टारगेट पूरा होता है।
गुना-शिवपुरी की जनता हमेशा आरोप लगाती है कि भाजपा यहां से सिंधिया के सामने कभी कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं उतारती। जनता की यह शिकायत दूर हो जाएगी और भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो जाएगा।
गुना-शिवपुरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध भी है। गुना एवं शिवपुरी विधानसभा से वो पिछली बार भी हार गए थे। शिवराज सिंह के आने से इतिहास बदल सकता है।
शिवराज सिंह पूरे मध्यप्रदेश के सुपरिचित चेहरा हैं, अत: गुना-शिवपुरी से लड़ाने पर उन्हे बाहरी प्रत्याशी नहीं कहा जाएगा।
शिवराज सिंह की जिंदगी में इससे अच्छा अवसर नहीं होगा, यदि वो ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव में पराजित कर पाए। इससे वो आने वाले 15 सालों के लिए मध्यप्रदेश के निर्विवादित नेता बन जाएंगे और मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार भी गिर सकती है।