नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत के 1181 भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की छानबीन की और पाया कि करीब 10 आईपीएस अफसर देश पर बोझ बन गए हैं। अब वो किसी काम के नहीं रह गए हैं और किसी भी प्रकार के प्रोत्साहन या दंड से उन्हे सुधारने की गुंजाइश नहीं है अत: तय किया गया है कि लोकसभा चुनाव के बाद उन्हे रिटायर करके भगा दिया जाएगा।
खबर आ रही है कि गृह मंत्रालय ने कुल 1181 आइपीएस अफसरों के सर्विस रिकार्ड की समीक्षा की है। पिछले तीन सालों में नाकारा साबित हो रहे इन अफसरों पर सरकार की निगाह है। मंत्रालय के एक अफसर ने बताया कि और भी कई अफसरों को इस समीक्षा से गुजरना पड़ सकता है, चूंकि यह एक सतत प्रक्रिया है।
क्या कहता है नियम
सर्विस रिकार्ड की समीक्षा वर्ष 2016 से 2018 के बीच ऑल इंडिया सर्विसेज (मृत्यु और सेवानिवृत्ति लाभ) नियमों, 1958 के नियम 16 (3) के तहत की गई है। इस नियम के मुताबिक केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से एक आइएएस अफसर को जनहित में रिटायर होने को कह सकती है। इसके लिए वह उसे तीन महीने का पूर्व नोटिस या तीन महीने का वेतन और इस नोटिस के साथ भत्ते दे सकती है।
मोदी सरकार ने अपनाई नई नीति
कुल 1181 आइपीएस अफसरों में से दस के लिए जनहित में समय पूर्व सेवानिवृत्ति की सिफारिश की गई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कुल मंजूर 4,940 आइपीएस अफसरों की जगह देश भर में कुल 3,972 आइपीएस अफसर काम कर रहे हैं। मोदी सरकार ने सरकार के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए अब नाकारा अफसरों की समीक्षा करने की नई नीति अपनाई है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 1143 आइएएस अफसरों के सेवा रिकार्ड की समीक्षा की थी।