इंदौर। इंदौर में कुल 13 सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से केवल 1 स्कूल शहरी क्षेत्र में है, शेष सब ग्रामीण हैं। 12 में से 9 स्कूलों की हालत तो दयनीय के स्तर से भी नीचे है। शासकीय अटाहेड़ा विद्यालय एक ऐसे स्कूल का नाम है जहां ना तो सुविधाएं हैं और ना ही विषय के विशेषज्ञ शिक्षक फिर भी परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत। यह इत्तेफाक नहीं, क्योंकि हर साल 100 प्रतिशत ही रहता है।
पत्रकार सुमेधा पुराणिक चौरसिया की रिपोर्ट के अनुसार देपालपुर ब्लॉक में मुख्य सड़क से 15 किमी अंदर बसे अटाहेड़ा गांव सहित महू के टिही गांव, बड़ी कलमेर, आंबाचंदन, मेंड सहित 9 बेहद पिछड़े गांवों के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने 100 प्रतिशत नतीजे देकर अपनी मेहनत व लगन को साबित कर दिया। विपरीत हालातों में कैसे कामयाबी पाई जाती है, इसकी मिसाल बेहद पिछड़े छोटे से गांव के सरकारी स्कूलों के ये विद्यार्थी हैं। जिन गांव के नाम भी आम लोगों की जुबां पर नहीं हैं, उन गांवों का नाम वहां के विद्यार्थियों की मेहनत से रोशन हो रहा है।
इंदौर जिले में 13 सरकारी स्कूलों का दसवीं और बारहवीं में 100 फीसदी परीक्षा परिणाम रहा। इनमें से 9 स्कूल बेहद छोटे पिछड़े गांवों में हैं जबकि शहर में एकमात्र स्कूल का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा। पहले भी लगातार 3 बार अटाहेड़ा स्कूल के 10वीं व 5 बार 12वीं के विद्यार्थियों ने सौ फीसदी नतीजे दिए हैं। बेहतर नतीजों से शिक्षा विभाग भी इन बच्चों को पढ़ाने की तकनीक व तरीके को समझना चाह रहा है जिससे अन्य स्कूलों के विद्यार्थी भी सीख ले सकें। शासकीय अटाहेड़ा स्कूल के शिक्षक उन तमाम शिक्षकों के लिए प्रेरणा हैं, जो असफलताओं का ठीकरा छात्रों पर फोड़कर खुद को निर्दोष और मासूम बताने की कोशिश करते हैं। इस वर्ष दसवीं में कुल 39 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें से 26 विद्यार्थी प्रथम, 12 द्वितीय व सिर्फ 1 छात्र तृतीय श्रेणी में पास हुआ है। लोग पास हुए स्टूडेंट्स की पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन हम जानते हैं कि इसका श्रेय शिक्षकों को जाता है।
स्कूल में वरिष्ठ अध्यापक को प्रभारी प्राचार्य बनाया हुआ है। अध्यापक दिनेश परमार ने बताया कि स्कूल में शिक्षक समर्पण भाव से पढ़ा रहे हैं। महू ब्लॉक का टिही गांव बेहद पिछड़ा हुआ है। बच्चों की लगन से यहां लगातार 4 साल से 10वीं में 100 प्रतिशत विद्यार्थी पास हो रहे हैं। प्राचार्य डॉ. शोभा सोनी का कहना है कि हम प्रारंभ से रणनीति बना पढ़ाई करवाते हैं। दसवीं में शुभग प्रजापति ने 92 प्रश अंक प्राप्त किए। मेंड व आंबाचंदन गांव हैं, जहां स्कूल के पास कुछ नहीं है।