भोपाल। विद्युत उत्पादन कंपनी में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण का निराकरण करने में प्रबंधन टालमटोल की नीति अपना रही है। लगभग 2700 प्रकरण लंबित पड़े हैं, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के 150 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। प्रबंधन की लेटलतीफी नीति से आश्रितों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली कंपनी में कार्य के दौरान दिवंगत हुए कर्मियों को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है। पावर प्लांट में कार्यरत दिवगंत कर्मियों के आश्रितों को ही प्रबंधन नौकरी देने में टालमटोल की नीति पिछले पांच से चला रहा है, जबकि अन्य ट्रांसमिशन, वितरण व अन्य कंपनी में त्वरित निर्णय लेते हुए अनुंकपा नियुक्ति प्रदान की जा रही है। बताया जा रहा है कि उत्पादन कंपनी में भी अब तक लगभग 2700 प्रकरण लंबित हो चुके हैं और सभी मामले की फाइल कंपनी मुख्यालय जबलपुर में विचाराधीन है।
प्रबंधन ने अभी तक इन प्रकरणों पर कोई विचार नहीं किया है। दिवंगत कर्मी के आश्रित नौकरी के लिए कंपनी के दफ्तरों का बार-बार चक्कर काट रहे हैं, पर प्रबंधन सिर्फ आश्वासन का झुनझुना थमा रहा है। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल कार्यकाल के भी लगभग 2700 प्रकरण का निराकरण नहीं हो सका है। इनमें कई आश्रित ने न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय ने भी विद्युत कंपनी को नौकरी देने का आदेश दिया, पर विद्युत कंपनी की ओर से अपील किए जाने से मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है।
लंबे समय तक नौकरी नहीं मिलने के कारण इन आश्रितों की उम्र भी धीरे-धीरे ढलती जा रही है, इससे भविष्य में नियम कायदों की वजह से नौकरी मिलना मुश्किल होगा। नौकरी नहीं मिलने से इन आश्रितों के परिवारों को भी काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।विधुत विभाग ने अपने अनुसार पालिसी बना ली जिसमे विधुत विभाग ने 2000 से लेकर 2012 सामान्य म्रत्यु प्रकरण नही दी है और 2000 से लेकर 2019 दुर्घटना में मृत कर्मचारियों के आश्रितो को नियुक्ति दे रहा है जो एक भेदभाव पूर्ण नीति है जिसमे 2000 के पूर्व के प्रकरण छोड़ दिया है अब ये भेदभाव पूर्ण पॉलिसी के कारण दर की दर ठोकर खा रहे हर जगह से इन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता।