छिंदवाड़ा। बीजेपी ने गंभीर आरोप लगते हुए कहा है की छिंदवाड़ा में फ़र्ज़ी मतदान करवाया गया है। निर्वाचन आयोग ने अनिवार्य किया है की लोकसभा चुनाव में मतदाता पर्ची के साथ ही फोटो युक्त पहचान पत्र होना आवश्यक है। आरोप है कि बावजूद इसके छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 29 अप्रैल को हुए मतदान में फोटो युक्त पहचान पत्र अनिवार्यता का पालन नहीं किया गया है।इसका खुलासा इपिक वोटर टर्नआउट रिपोर्ट फॉर असेंबली सेगमेंट्स में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के 326 मतदान केंद्रों में 39 हजार 528 मतदाताओं ने सिर्फ वोटर स्लिप के आधार पर मतदान किया है। भाजपा ने इस पर सवाल खड़े करते हुए इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से की है।
नत्थनशाह कवरेती के आरोप फ़र्ज़ी मतदान कराया गया
भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी नत्थनशाह कवरेती ने फर्जी मतदान की आशंका जताते हुए अमरवाड़ा के 326 मतदान केंद्रों में पुनर्मतदान की मांग रखी है। उन्होंने कहा की कांग्रेस ने अधिकारीयों पर ऊपर से दबाव डलवा कर यह काम करवाया है। यह कार्य अधिकतर ग्रामीण इलाकों में किया गया क्योंकि वहां के लोग सीधे-सादे होते हैं। ग्रामीणों को डराया धमकाया गया और फ़र्ज़ी मतदान कराया गया।
कलेक्टर ने मांगने पर भी नहीं दी जानकारी
नत्थनशाह कवरेती ने कहा की कलेक्टर भी यह जानकारी देने से इंकार कर रहे थे काफी प्रयासों के बाद हमें यह जानकारी मिल पायी है वो भी केवल अमरवाड़ा क्षेत्र की, हम प्रयास करेंगे की छिन्दवाड़ा के सभी क्षेत्रों जानकारी हमें प्राप्त हों और और चुनाव आयोग हमारी शिकायत पर कार्यवाही करते हुए पुनः मतदान कराएगा।
39,528 मतदाताओं ने वोटर स्लिप के आधार पर वोट डाले
छिन्दवाड़ा लोकसभा चुनाव में 84.45 प्रतिशत मतदाताओं ने ने मतदान किया। जिसमें करीब 75 फीसदी मतदाता ही 'इपिक' यानी आयोग द्वारा निर्धारित किए गए पहचान पत्र के साथ मतदान केंद्रों पर पहुंचे। जबकि बाकि लोगों ने केवल बीएलओ द्वारा जारी वोटर स्लिप के आधार पर ही मतदान में हिस्सा लिया। कुल 1,48,537 ने इपिक कार्ड के जरिए मतदान किया। जबकि 39,528 मतदाताओं ने वोटर स्लिप के आधार पर वोट डाले।
भाजपा का आरोप बाकी विधानसभा क्षेत्रों में भी यही स्थिति
यहाँ भाजपा को भी मुद्दा मिल गया है और उनका आरोप है कि केवल अमरवाड़ा ही नहीं बाकी विधानसभा सीटों में भी आईडी की अनिवार्यता का पालन नहीं किया गया है। भाजपा जिला महामंत्री शिव मालवी और अलकेश लांबा का कहना है कि स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में उक्त बात उठाई थी। उस समय अधिकारियों ने आयोग के निर्देश बताते हुए 12 प्रकार की आईडी को अनिवार्य बताया था। इसके बाद मतदान के दौरान पालन नहीं कराया गया।
एजेंटों की सहमति पर डल गए बिना आईडी वोट-
29 मई को मतदान के दौरान खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं की आईडी को लेकर समस्याएं सामने आई थीं। अधिकांश जगह मतदाताओं के बिना आईडी के पहुंचने पर प्रत्याशियों के एजेंट की सहमति पर मतदान दलों ने मतदान की अनुमति दे दी थी। अब बिना आईडी के मतदान सवालों के घेरे में आ गया है।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी कविता बाटला ने कहा कि भाजपा प्रत्याशी की शिकायत पर सहायक रिटर्निंग आफिसर अमरवाड़ा को जांच के लिए कहा है। जांच के बाद ही इस विषय में बता पाएंगे।