विदिशा। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पदस्थ उप पंजीयक लक्ष्मीनारायण पटवा (LAXMI NARAYAN PATWA SUB REGISTRAR) को शुक्रवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश (लोकायुक्त) एसएस तोमर ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत दोषी पाते हुए चार साल के कारावास और 15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। उप पंजीयक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उप पंजीयक को 2 हजार की रिश्वत (BRIBE) लेते हुए कार्यालय में रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था।
यह है पूरा मामला:
यह मामला 6 जनवरी साल 2016 का है। उप पंजीयक लक्ष्मीनारायण पटवा ने वकील जीवनसिंह किरार से ई-रजिस्ट्री के बदले में 5 हजार रुपए मांगे थे। तीन हजार रुपए पहले ले लिए थे और 2 हजार रुपए बाद में लिए थे। इस मामले की शिकायत फरियादी जीवनसिंह किरार ने लोकायुक्त से की थी। इसके बाद लोकायुक्त ने उप पंजीयक को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया था।
विवादों से था पटवा का नाता:
अपने कार्यकाल के दौरान उप रजिस्ट्रार पटवा अपनी कार्यशैली के कारण हमेशा ही विवादों में रहते थे। साल 2015 में वकीलों से विवाद की स्थिति बनी थी। वकीलों ने गुस्से में आकर रजिस्ट्रार की पिटाई भी लगा दी थी। इसके अलावा लटेरी और कुरवाई में उनकी पदस्थापना के दौरान भी कई विवाद हुए थे।
इसलिए दी थी रिश्वत
एडवोकेट जीवनसिंह किरार ने बताया कि अपने पक्षकार रतनसिंह के एक प्लाट की रजिस्ट्री करानी थी, जिसमें परिवार की सहमति की जरूरत थी। इसी की कमी के कारण सब रजिस्ट्रार ने पांच हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी। उनका कहना था कि उन्होंने परिवार के दूसरे सदस्यों के सहमति पत्र जमा करा दिए थे। इसके बावजूद सब रजिस्ट्रार बिना राशि लिए रजिस्ट्री को तैयार नहीं थे। रिश्वतखोरी को रोकने के लिए ई रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन विदिशा रजिस्ट्रार कार्यालय में इसका उल्टा असर हुआ था। पटवा पहले रजिस्ट्री के लिए एक हजार रुपए लेता था, लेकिन ई रजिस्ट्री शुरू होने के बाद उसने रिश्वत की फीस बढ़ाकर दो हजार रुपए कर दी थी। इस बात से रजिस्ट्री कराने वाले लोग परेशान थे।
केमिकल लगे थे नोट
एडवोकेट जीवनसिंह किरार ने बताया कि 6 जनवरी को कलेक्टोरेट स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय में रोज की तरह रजिस्ट्रियों का कार्य चल रहा था। इसी दौरान वहां पर पदस्थ उप रजिस्ट्रार पटवा को दो हजार रुपए की रिश्वत देने के लिए पहुंचा था। जैसे ही उन्हें केमिकल लगे हुए 500 के तीन और 100 के पांच नोट पटवा को दिए तो सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त की टीम ने पटवा को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने पटवा के खिलाफ रिश्वतखोरी का केस दर्ज किया था। लोकायुक्त भोपाल के डीएसपी उमेश तिवारी के नेतृत्व में ये कार्रवाई की गई था।