भोपाल। लोकसभा चुनाव की घोषणा क्या हुई, शिक्षा विभाग के प्राचार्यों और कर्मचारियों को एक नया बहाना मिल गया। इसकी वजह से उन लोगों को अधिक परेशान होना पड़ रहा है। जिन्हें अतिथि शिक्षक के लिये आवेदन करना है, स्कूलों के प्रधान आचार्य नए नए बहाने बनाकर कर उन्हें टरका रहे है और पहले से ही परेशान बेरोज़गारों को और परेशान करने में लगे हुए हैं, बहरहाल अब वो लोग क्या करें जिनके डोक्यूमेंट सत्यापित नहीं हो पा रहे हैं। और 15/5/2019 तक अपलोड करना है।
आज भोपाल समाचार ने कुछ आवेदकों से बात की, एक खास बात यहाँ यह है की आवेदकों में ज्यादातर संख्या महिलाओं की है। जिन्हें अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी भी निभानी है। रेणु प्रजापति, भोपाल का कहना है की सत्यापन के कार्य के लिए एक अलग विभाग ही क्यों नहीं बना देते। मै अपने छोटे बच्चे और कामधाम छोड़ कर स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं। वंदना पारासर: मै 3-4 स्कूलों के चक्कर लगा चुकी हूँ, स्कुल के प्रिंसिपल तो सीधे मुँह बात भी नहीं करते, कुछ न कुछ बहाना कर देते है।
राजेश्वरी, भोपाल: पिछले तीन दिनों में हम 3-4 स्कूलों में जा चुके, सब के अपने बहाने है कोई कहता है की प्रिंसिपल नहीं हैं, किसी प्राचार्य का कहना है की हमें कंप्यूटर चलाना नहीं आता। एक प्राचार्य का कहना है की हमें प्रशासन ने कोई कम्प्यूटर ऑपरेटर नहीं दिया है, जो व्यक्ति हमारे पास है वह कोई शासकीय कर्मचारी नहीं है। अब हम क्या करें।
कुछ प्राचार्य से जब यह सवाल पूछा गया की क्या इस कार्य को ना करने के आपके पास कोई औपचारिक आदेश हैं, तो जवाब नदारद था। वैसे आपको बता दें की अतिथि शिक्षक के लिए जमा किये जाने वाले दस्तावेजों के सत्यापन के लिए प्राचार्य की कुछ भूमिका नहीं है। यह कार्य स्कूल का कोई भी कर्मचारी जिसे कंप्यूटर चलाना आता है वह कर सकता है। इसीलिये अगर आप थोड़ा संयम बरतें तो निवेदन करने पर आपका काम अवश्य हो जायेगा।
सवाल यहाँ पर यह भी है की प्राचार्यों को और उनके स्टाफ़ को इस कार्य में सहायता करने में क्या आपत्ति है? क्या उन्हें शासन की ओर से निर्देश नहीं दिए गये, या फिर मामला कुछ लेनदेन का है। चाहे जो भी हो लेकिन उन लोगों को परेशान करने का कोई तुक नहीं हैं जो पहले ही परेशान है।