आशीष कुमार बिलथरिया। विश्व इतिहास साक्षी है जहॉं ज्ञानियों एवं शिक्षकों का अपमान हुआ है वो सत्ता चली गई हैं इसका प्रमाण हमें घनानंद एवं चाणक्य के परिपेक्ष्य में भी देखने को मिलता हैं इसी प्रकार म.प्र में भाजपा की सरकार 12 वर्षों से अतिथि शिक्षकों से अतिअल्प मानदेय पर कार्य लेती रही व इनकी बेरोजगारी का फायदा उठाकर मानसिक उत्पीड़न व आर्थिक शोषण किया यहां तक की पूर्व सीएम साहब ने इन्हें कई बार अपमानित भी किया, अपने विभिन्न कार्यक्रमों में व मंचो से।
इसका परिणाम यह हुआ कि अतिथि शिक्षकों ने न सिर्फ कांग्रेस का साथ दिया व सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से भी तत्कालीन सत्ता का विरोध किया परिणाम स्वरूप प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ जिसमें अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, संविदा कर्मियों का बड़ा योगदान हैं क्योंकि ये सभी कर्मचारी अनिश्चित सेवा व असुरक्षित भविष्य की समस्या से ग्रस्त है। आज अगर ये किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते है तो इनके परिवार को किसी प्रकार की नियुक्ति का अधिकार नहीं है व शासन से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता भी नहीं मिलती हैं। इन सब में सबसे बुरा हाल अतिथि शिक्षकों का है। इनको इतना वेतन भी नहीं मिलता है कि परिवार पाल सकें तो ये भविष्य के लिए क्या बचा पाऐंगे।
हालांकि कांग्रेस ने अपने 15 वर्ष के सत्ता वनवास काल में अतिथि शिक्षकों के विभिन्न आंदोलनों में सहभागिता व सहानुभूति दिखाई थी उनके नेता माननीय कुणालजी, अजयसिंहजी, पीसी शर्मा जी ने मंच भी साझा किया था व विधानसभा चुनाव पूर्व कमलनाथजी, दिग्विजय सिंह जी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जी व कई अन्य कांग्रेस विधायकों ने अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण का भरोसा दिलाया था व वचन दिया था व वचनपत्र में भी इसे स्थान दिया था जिन मुद्दों पर कांग्रेस सत्ता में आई पर सरकार बनने के बाद अभी तक सरकार ने चार माह बाद भी ऐसा कुछ नहीं किया जिससे ये अतिथिशिक्षक अपने भविष्य को सुरक्षित मान सकें या तो सरकार को नियमित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हर साल करना चाहिए जो कि विगत 8 वर्षों से नहीं हुई अथवा अब वर्तमान सत्र में डीएड.बीएड व अन्य वोकेशनल शिक्षण पाठ्यक्रमों में प्रवेश पर रोक लगा देना चाहिए साथ ही सेवा में म.प्र के आवेदको को महत्व देना चाहिए क्योंकि अन्य राज्य के लोग म.प्र के सामान्य वर्ग के अभ्यार्थियों का रोजगार छीन रहें हैं क्योंकि अगर सरकार शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार सृजन करने में असफल हैं तो क्यों बेचारे बेरोजगार युवा अपने माता पिता का पैसा उस पढ़ाई मे खर्च करके उनकों और बर्बाद करें जो रोजगार देने में असफल है।
वैसे नेताओं की कथनी पर विश्वास करके अतिथि शिक्षकों ने सत्ता परिवर्तन किया व अब टकटकी लगाकर इंतजार कर रहें हैं कि कब वो दिन आएगा जब उनका व उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित होगा नहीं तो इतिहास साक्षी हैं जिस सत्ता में शिक्षक अपमानित हुआ है वो सत्ता बदल गई हैं और कहीं न कहीं राजनेता भी किसी शिक्षक के छात्र रहें होगें और शायद उन शिक्षक ने भी उन्हें वचन निभाना और शिक्षक का सम्मान करना सिखाया होगा पूर्व सरकार ने 8 वर्ष तक नियमित शिक्षक भर्ती न करके व झूठे आश्वासनों से अतिथि शिक्षकों को छला व प्रदेश में जब डीएड.बीएड प्रशिक्षितों की संख्या अधिक दिखी व चुनाव सर पर आ गए तो अतिथि शिक्षकों को 25% आरक्षण के नाम पर उनसे छल किया जबकि आरटीई लागू होने के बाद भी जो गुरूजी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास न कर सके उनको नियमित किया गया प्रदेश में शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारी बढ़ाने में वर्षों तक शिक्षक भर्ती न कर पाने की सरकार की असफलता प्रमुख कारण है।
आपका
आशीष कुमार बिलथरिया