देश के सबसे बड़े चुनाव 'लोकसभा चुनाव' (LOKSABHA ELECTION) के जरिए आम नागरिक अपना सांसद (MEMBER OF PARLIAMENT) चुनते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पर चुनाव आयोग ने करीब 900 करोड़ रुपए खर्च किए एवं 543 सीटों पर चुनाव हुए। इसके अलावा सांसदों को एक बड़ी रकम वेतन एवं भत्ते के रूप में दी जाती है। यह रकम आपकी जब से GST के रूप में वसूली गई है। सवाल यह है कि जब क्षेत्रीय समस्याओं के लिए पार्षद, सरपंच, नगर पालिका, जनपद पंचायत, विधायक एवं जिला पंचायत होते हैं तो फिर सांसद की क्या जरूरत। सांसद क्षेत्र के लिए किस काम आता है। सांसद के अधिकार व कर्तव्य क्या हैं। (What are the rights and duties of MP)
राष्ट्रीय नीति से लेकर कार्यक्रम तय करने के लिए जवाबदेह
किसी भी प्रजातांत्रिक देश की राष्ट्रीय-विदेश नीति व कार्यक्रम तय करने में सांसद की सबसे अहम भूमिका होती है। देश के लिए नए कानून बनाने और पुराने कानूनों में न्यायोचित संशोधन करने के लिए सांसदो की सहमति जरूरी होती है। देश के विकास के लिए योजनाएं एवं देश के नागरिकों की तरक्की व रोजगार के लिए प्रबंधन भी सांसदों द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि संसद में देश का भविष्य तय किया जाता है। यानी सांसद देश का भाग्य विधाता होता है।
रेल, शिक्षा, संचार समेत केंद्रीय संगठनों के लिए उत्तरदायी
सांसद मूलत: केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते है। राज्य की सरकार और उनके विभागों से उनका सीधा सरोकार नहीं होता है। इसके बावजूद उनकी जवाबदेही बहुत अधिक होती है। खासकर वे केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले विभाग जैसे आयकर, जीएसटी, रेलवे, दूरसंचार, शैक्षणिक संस्थान आदि में सीधे दखल रखने का अधिकार रहते हैं। उदाहरण के लिए अगर इन विभागों से जुड़ा कोई अधिकारी-कर्मचारी अपने पदीय दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहा है तो इसके लिए नागरिक अपने सांसद से शिकायत कर सकते हैं। सांसद की जिम्मेदारी है कि वो केंद्र के विभागों में किसी तरह की गड़बड़ी होने से रोके। इसके अलावा वे केंद्र सरकार द्वारा संचालित किसी योजना-परियोजना को लेकर क्षेत्र, जाति, धर्म, समुदाय या अन्य किसी को समस्या है तो वे इस संबंध में सांसद के माध्यम से अपनी बात रख सकते हैं।
क्षेत्रीय विकास के लिए 5 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष सांसद निधि मिलती है
वर्तमान में केंद्र सरकार, हरेक सांसद को अपने क्षेत्र में विकास कराने के लिए 5 करोड़ रुपए सालाना निधि देती है। इस राशि से वे अपने संसदीय क्षेत्र में सड़क, पानी, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, सार्वजनिक पार्क आदि के विकास, उन्नयन आदि पर खर्च कर सकते हैं। उन्हें हर साल 5 करोड़ रुपए तभी जारी किए जाते हैं, जब वे चालू वित्त वर्ष में कुल राशि का 80 फीसदी खर्च कर दें।
आर्थिक मदद के साथ तीन लोगों का करा सकते हैं इलाज
मप्र में सांसदों को आर्थिक मदद देने का भी अधिकार है। देश के अन्य राज्यों में ये व्यवस्था नहीं है। मप्र में राज्य सरकार की तरफ से उन्हें हर साल 25 लाख रु. सांसद स्वेच्छानुदान के रूप में मिलते हैं, जिसमें से एक व्यक्ति के लिए 5 हजार रु. और संस्थागत स्तर पर 10 हजार रुपए तक अनुदान दे सकते हैं। इसके अलावा सांसद को हर महीने तीन व्यक्तियों का देश के किसी भी अस्पताल में इलाज कराने का अधिकार होता है जिसके फाइनल बिल में केंद्र सरकार आंशिक रियायत भी देती है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि एम्स जैसे अस्पतालों में सांसद इलाज के लिए सांसद चिट्ठी लिख सकते हैं।
ट्रैफिक और अधो-संरचना में बदलाव के लिए भी जवाबदेह
दो साल पहले केंद्र सरकार ने सांसदों को यातायात समितियों का अध्यक्ष घोषित किया था। अब वे जिले की आंतरिक यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने में अपना सुझाव दे सकते हैं। यातायात समिति, जिसमें लोक निर्माण विभाग, एनएच, यातायात पुलिस आदि शामिल होते हैं, को सांसद इस बारे में सुझाव देकर अमल करवा सकते हैं।
नई रेल, स्टापेज और औद्योगिक विकास की होती है जवाबदारी
रेल सुविधाओं में इजाफा, भारी उद्योगों की स्थापना, नदी जोड़ना, बांधों का निर्माण करना आदि केंद्र सरकार की जवाबदेही हैं इसलिए सांसदों का इनमें सीधा दखल रहता है।
सेंट्रल स्कूलाें में हर साल 10 सीट का कोटा रहता है
सांसदों को उनकी संसदीय क्षेत्र की सेंट्रल स्कूलाें 10 सीट का कोटा दिया जाता है। इन सीट्स पर वे जरूरतमंद व्यक्तियों के बच्चों का सीधे एडमिशन करा सकते हैं। इसके अलावा सांसदों को ट्रेनों में सीट रिजर्व कराने के लिए विशेष प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि ये सुविधा अधिकृत रूप से नहीं है लेकिन सांसद संबंधी जीएम के जरिए आपातकालीन मामलों में किसी भी व्यक्ति को सीट उपलब्ध करा सकते हैं।
आइए जानते हैं सांसदों को कितना वेतन और भत्ता मिलता है
लोकसभा और राज्यसभा के सांसद कार्यकाल के दौरान 50 हजार रुपये का वेतन मिलता है.
अगर सांसद की कार्यवाही के दौरान उसमें शामिल होते हैं, और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं तो उन्हें 2000 रुपये हर रोज का भत्ता मिलता है.
एक सांसद अपने क्षेत्र में कार्य कराने के लिए 45000 रुपये प्रतिमाह भत्ता पाने का हकदार होता है.
कार्यालयीन खर्चों के लिए एक सांसद को 45000 रुपये प्रतिमाह मिलता है. इसमें से वह 15 हजार रुपये स्टेशनरी पर खर्च कर सकता है. इसके अलावा अपने सहायक रखने पर सांसद 30 हजार रुपये खर्च कर सकता है.
सांसद निधि (मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट) स्कीम के तहत सांसद अपने क्षेत्र में 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का खर्च करने की सिफारिश कर सकता है.
सांसदों को हर तीन महीने में 50 हजार रुपये यानी करीब 600 रुपये रोज घर के कपड़े धुलवाने के लिए मिलते हैं.
सांसदोंको हवाई यात्रा का 25 प्रतिशत ही देना पड़ता है. इस छूट के साथ एक सांसद सालभर में 34 हवाई यात्राएं कर सकता है. यह सुविधा पति/पत्नी दोनों के लिए है.
ट्रेन में सांसद फर्स्ट क्लास एसी में अहस्तांतरणीय टिकट पर यात्रा कर सकता है. उन्हें एक विशेष पास दिया जाता है.
एक सांसद को सड़क मार्ग से यात्रा करने पर 16 रुपये प्रतिकिलोमीटर यात्रा भत्ता मिलता है.