भिंड। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से देवाशीष जरारिया को उतारा है। देवाशीष दलित नेता हैं पंरतु अब उन्हे सवर्ण वोटों की भी जरूरत है। इधर सवर्ण मतदाता जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा को धूल चटा दी थी, इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के खुली खिलाफत कर रहे हैं। सवर्णों किस स्तर तक गुस्से में हैं इसका एक प्रमाण उमरी गांव में मिला जहां नुक्कड़ सभा के दौरान सवर्णों ने कांग्रेस प्रत्याशी देवाशीष जरारिया को पत्थर मारकर भगा दिया।
2 अप्रैल की हिंसा भड़काने में देवाशीष का हाथ था: आरोप
पत्रकार हरेकृष्ण दुबोलिया के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी देवाशीष जरारिया की स्थिति काफी खराब हो गई है। सवर्ण जातियों का बड़ा तबका यह मानकर बैठा है कि 2 अप्रैल 2018 को ग्वालियर-चंबल में हुई दलित हिंसा के लिए कांग्रेस उम्मीदवार देवाशीष जरारिया का हाथ था। हालांकि देवाशीष अपनी नुक्कड़ सभाओं में इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि 2 अप्रैल को वे दिल्ली में थे।
1989 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा
1989 से यह सीट भाजपा के कब्जे में हैं। कांग्रेस हर बार बदल-बदल कर प्रत्याशी उतारती रही है, लेकिन 30 साल में एक भी बार सफलता हाथ नहीं लगी है। भाजपा की संध्या राय काफी खामोशी से स्थानीय पार्टी नेताओं को साथ लेकर अपना प्रचार कर रही है। भाजपा की संध्या राय न तो इस क्षेत्र की हैं और न ही उन्हें लोग इतना जानते हैं। यहां सिर्फ मोदी फैक्टर ही भाजपा की मदद कर रहा है।
कांग्रेसी भी देवाशीष के पक्ष में वोट नहीं मांग रहे
कांग्रेस के पक्ष में सिर्फ डॉ. गोविंद सिंह ही ठाकुरों के प्रभुत्व वाले छत्तीसी और चौरासी इलाकों में जी-जान से जुटे हैं। सिंधिया खेमे के कई नेता इलाके से गायब हैं। देवाशीष को सवर्ण विरोधी माना जा रहा है, इसलिए कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता ग्रामीण इलाकों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
8 विस सीटें: कहां क्या स्थिति है
अटेर : भाजपा के अरविंद भदौरिया विधायक हैं। ठेट चंबल किनारे के इस इलाके में ब्राह्मण और ठाकुर (भदौरिया) का वर्चस्व है।
भिंड : बसपा के संजीव सिंह कुशवाह 35896 की लीड के साथ विधायक हैं। अभी यहां दलित वोट भाजपा के पक्ष में शिफ्ट होता दिखाई दे रहा है। जबकि कुशवाह, क्षत्रिय व ब्राह्मण देवाशीष से नाराज हैं।
गोहद : कांग्रेस के रणवीर विधायक हैं। अजा वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर सर्वाधिक दलित वर्ग है।
मेहगांव : कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया विधायक हैं, लेकिन एट्रोसिटी एक्ट की तपिश यहां ज्यादा है। कांग्रेस थोड़ी कमजोर हुई।
लहार : सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का यह गृह क्षेत्र है। 28 साल से यहां कांग्रेस काबिज है। यहां गोविंद ही सर्वणों के वोट जरारिया के पक्ष में कर सकते हैं।
सेंवढ़ा : कांग्रेस के घनश्याम सिंह विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस को विस चुनाव जैसा समर्थन दिला पाने की स्थिति में नहीं हैं।
भांडेर : अजा आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस की रक्षा संतराम सरोनिया विधायक हैं। यहां जरारिया को लीड मिल सकती है।
दतिया : भाजपा के डॉ. नरोत्तम मिश्रा विधायक हैं। सवर्ण खुलकर कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में हैं।