भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की तरह डरपोक एवं अंधविश्वासी (Superstitious) हैं या नहीं यह 11 मई को उस समय प्रमाणित हो जाएगा जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी धार जिले के अमझेरा में सभा को संबोधित करने आएंगे। इससे पहले बता दें कि अंधविश्वास को भारत के संविधान और कानूनों में मान्यता नहीं दी गई है बल्कि इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून जरूर बनाए गए हैं। कोई भी जनप्रतिनिधि अंधविश्वासी हो यह कानूनन अस्वीकार्य है। पीएम मोदी तो यहां तक कहते हैं कि उसे जनप्रतिनिधि होने का अधिकार तक नहीं है।
अमझेरा का अंधविश्वास से क्या संबंध
1857 के अमर शहीद बख्तावर सिंह की नगरी अमझेरा के साथ एक ऐसी किवदंती जुड़ी हुई है कि यहां जब भी कोई मुख्यमंत्री सभा लेने के लिए आया वो दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाया। इस डर से 14 साल से कोई भी मुख्यमंत्री यहां सभा लेने के लिए नहीं आया। क्योंकि पूर्व में दिग्विज सिंह, उमा भारती और बाबूलाल गौर यहां सभा लेने आए, लेकिन इसके बाद वे फिर कभी मुख्यमंत्री के पद को नहीं पा सके। संभवत: यही कारण रहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अनेक मर्तबा धार जिले में आए, लेकिन वे अमझेरा नहीं आए, बल्कि यहां से पांच किमी दूर मांगोद में सभा लेकर रवाना हो गए।
विधायक का दावा: मेरे कमलनाथ आएंगे
इस बार भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है। वर्तमान मुख्यमंंत्री कमलनाथ के 11 मई को होने वाली कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा में आने पर संशय बना हुआ है। हालांकि क्षेत्रीय विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि इस बार हम सीएम कमलनाथ को अमझेरा लाकर इस भ्रम को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।
ऐसा अंधविश्वास क्योंं बन गया
दिग्विजय सिंह : जो 10 फरवरी 2003 को यहां आए थे।
उमा भारती : जो 10 फरवरी 2004 में अमझेरा आईं।
बाबूलाल गौर : 17 नवंबर 2005 को अमझेरा आए।