कैंसर का इलाज इलैक्ट्रोमैग्रेटिक तरंगों से: साइटोट्रोन थेरेपी | CYTOTRON THERAPY: TREATMENT OF CANCER FROM ELECTROMAGNETIC WAVES

उमेश कुमार सिंह। कई बार अथक प्रयास करने के बाद भी ट्यूमर (Tumors) जैसे रोगों का निवारण नामुमकिन हो जाता है। आज इक्कीसवीं सदी में भी हम ऐसे रोगों का उपचार नहीं खोज पाए हैं। ऐसे रोगों से ग्रस्त मरीज सभी प्राकर के कैंसरों को असाध्य मानकर तब तक डाक्टर के पास नहीं जाते जब तक रोग बहुत बढ़ न जाए. कहीं न कहीं उनके मन में कैंसर (Cancer) के प्रति डर तो होता है लेकिन साथ ही वे अभी तक उपलब्ध कैंसर से लडने (Cancer treatment) वाली सभी उपचारों के दुष्प्रभावों को लेकर भी चिंतित रहते हैं. 

क्या साइटोट्रोन थेरेपी, कीमोथेरेपी का विकल्प है / Is cytotron therapy an alternative to chemotherapy

अब कई अध्ययनों और ट्रायलों से यह साफ हो चुका है कि साइटोट्रोन चिकित्सा की मदद से किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और बेहद कम समय मेें कैंसर से छुटकारा पाया जा सकता है. इससे मरीज का डर कम हो जाता है. लुधियाना स्थित सिबिया मेडिकल सेंटर (Sibia Medical Center) के निदेशक डा. एस.एस. सिबिया (Dr. S. S. Sibia) का कहना है कि जितनी जल्दी कैंसर का निदान किया जाए और उसका उपचार शुरु कराया जाए, उतनी ही जल्दी कैंसर से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए इस रोग का निदान होते ही नियमित उपचार आवश्यक है. साइटोट्रोन थैरेपी क्लीनिकली प्रमाणित की हुई एक ऐसी शल्य रहित प्रक्रिया है जिससे कैंसर की बढ़त को रोका जा सकता है और कैंसर के मरीजों की जिंदगी को सुधारा जा सकता है. 

कैंसर क्या होता है / What is cancer


हमारे शरीर में कई प्रकार के सेल होते हैं. ये भी अपने जीवनकाल के अनुसार बनते हैं और विभाजित होते हैं. फिर इनके खत्म होने के बाद इनकी जगह नए सेल ले लेते हैं. यह ताउम्र एक प्रक्रिया के तहत होता है. पुराने सेलों को समापन और उनकी जगह नए सेलों का आना एक जटिल प्रक्रिया है. अगर इस प्रक्रिया में कोई बदलाव आ जाए तो कई बार ऐसा होता है कि सेल अनियंत्रित तरीके से एक ही जगह पर इक्कठे हो जाते हैं और किसी गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेते हैं. ये ट्यूमर बिनाइन या मेलाइनेंट दो प्रकार के हो सकते हैं. 

साइटोट्रोन थैरेपी कैसे किया जाता है / How is cytotron therapy

मरीज को साइटोट्रोन बिस्तर पर लिटाया जाता है. फिर किरणों को लेजर की मदद से ट्यूमर पर केंद्रित किया जाता है. एमआरआई के आधार पर कंप्यूटर डोज को गिनता है. इसे प्राय 28 दिनों तक रोजाना एक-एक घंटे तक कराया जाता है.   

साइटोट्रोन किस प्रकार कार्य करता है / How does cytotron work

साइटोट्रोन एक प्रकार का यंत्र होता है जो कि आर एफ क्यू एम आर का निर्माण करता है. आर एफ क्यू एम आर किरणों में कम ऊर्जा, नॉन-थर्मल, रेडियो या सब-रेडियो तीव्रता वाली इलैक्ट्रोमैग्रेटिक तरंगे होती हैं, जो कि सेलों के अंदर और बाहर मौजूद प्रोटोन स्पिन को वोल्टेज पैदा करने की क्षमता का निर्माण करने के लिए परिवर्तित करती है. आर एफ क्यू एम आर कैंसर के सेलों को समाप्त नहीं करतीं, बल्कि अनियंत्रित मिटोसिस को रोकती हैं और सेलों को वानस्पतिक अवस्था में लाती हैं. इस प्रक्रिया के दौरान कैंसरग्रस्त सेल विकारग्रस्त होते जाते हैं, क्यों कि नियमित समय के अनुसार इनकी क्षति होना स्वाभाविक होता है. 

क्या साइटोट्रोन सुरक्षित और आरामदायक है / What cytotron is safe and comfortable

इस चिकित्सा के दौरान मरीज को किसी प्रकार का दर्द या असहजता महसूस नहीं होती. साइटोट्रोन को डी आर डी ओ के द्वारा सुरक्षित, कम ऊर्जा वाला और नान-थर्मल प्रमाणित किया जा चुका है. ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए मानकों को पूरा करता है.

किन प्रकार के कैंसरों को इससे ठीक किया जा सकता है / What types of cancers can be cured by this

डा. एस.एस. सिबिया का कहना है कि साइटोट्रोन से लगभग सभी प्रकार के जैसे- दिमाग, स्तन, सर्विक्स, ब्लैडर, कोलोन या रेक्टम, लिवर, फेफड़ा, सिर, गला, मुंह, नाक, ओवेरियन, पैनक्रियाटिक, गुर्दा, पेट, गर्भाशय कैंसर आदि को ठीक किया जा सकता है.

साइटोट्रोन उपचार से पहले कौन से टैस्ट आदि कराने पड़ सकते हैं/ Which tests can be done before cytotron treatment?

कैंसरग्रस्त भाग का एम आर आई, रक्त, मूत्र जांच आदि सामान्य टेस्ट कराने पड़ते हैं.

क्या साइटोट्रोन अधिक उम्र में भी कराया जा सकता है?

जी हां, ये वृद्धावस्था में भी कराया जा सकता है.


कौन से मरीज साइटोट्रोन के लिए अयोग्य हैं / Which patients are ineligible for cytotron

गर्भवती महिलाओं और एम आर आई के अयोग्य मरीजों का उपचार इस प्रक्रिया से नहीं किया जा सकता.
क्या मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हार्ट डिसीज के मरीजों में साइटोट्रोन से उपचार करना संभव है?
जी हां, इन सब समस्याओं और कई अन्य बीमारियों से पीडित लोगों का उपचार साइटोट्रोन से किया जा सकता है.

मरीज कैसे जान सकता है कि वह पहले से बेहतर है / How can the patient know that he is better than before

उपचार के बाद मरीज अच्छा, बेहतर महसूस करने लगता है. उसके जीवन की गुणवत्ता सुधर जाती है. उसे दर्द नहीं रहता, वह अधिक ऊर्जावान महसूस करने लगता है. उपचार के बाद एम आर आई टेस्ट के परिणाम से भी इसे मापा जा सकता है. एम आर आई में यह पता चलता है कि कैंसरग्रस्त ट्यूमर की वृद्धि रुक गई है और बाद के एम आर आई में ट्यूमर घटता हुआ दिखने लगता है.

साइटोट्रोन के क्या फायदे हैं / What are the advantages of cytotrons

यह एक बाहरी प्रक्रिया है.
बिना बेहोश किए, शल्यरहित, बिना रक्त चढ़ाए की जाती है.
इसमें कोई दर्द नहीं होता है. रोजाना मरीज को एक घंटे के लिए हास्पिटल में आना होता है. कुछ मरीजों को बीमारी के अनुसार हास्पिटल में रुकना पड़ता है.
इसमें कोई संक्रमण, जटिलता या खतरा नहीं होता है.
सर्जरी के लिए अयोग्य मरीजों के लिए यह एक उपयुक्त उपचार है.
मरीजों द्वारा अधिक तौर पर अपनाया जा रहा है. 
इसमें खर्च भी कम आता है.

क्या सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी बेहतर विकल्प नहीं हैं / Whether surgery, chemotherapy, radiotherapy are not a better option,

कैंसर के लिए किसी भी उपचार को शत-प्रतिशत सफल नहीं कहा जा सकता, इसलिए मरीज की अवस्थानुसार उपचार करना चाहिए.

अगर साइटोट्रोन विफल हो गया या कभी कैंसर दुबारा उत्पन्न हो गया तो उस स्थिति में क्या होगा?
अगर साइटोट्रोन विफल हो गया तो इसे दुबारा किया जा सकता है या फिर सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी को आजमाया जा सकता है.

साइटोट्रोन को भविष्य में और किस प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है / How cytotron can be used in the future

साइटोट्रोन से कई उपचार करने की संभावना जताई जा रही है जैसे ओस्टियोआर्थराइटिस, कैंसर, एंजियोजेनेसिस, ओस्टियोपोरोसिस, पेन मैनेजमेंट, फाइब्रोमाइयेलगिया, माइग्रेन, मधुमेह, डायबिटीक न्यूरोपैथी, कभी न भरने वाले घाव, टाइनाइटस, ड्रग रेसिसटेंट एपिलेप्सी, सेरेब्रल डीजनरेशन, मल्टीपल स्लेरोसिस आदि. 

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