भोपाल। वैसे अभी लोकसभा चुनाव (LOKSABHA ELECTION) 2019 के अधिकारिक नतीजे आने में पूरा एक दिन है। एक्जिट पोल (Exit poll) से देश के माहौल में परिवर्तन दिखने लगा है. शेयर बाज़ार उछल गया है।कांग्रेस शासित राज्य सरकारों में हलचल तेज़ हो गई है। अडानी के शेयर ऊँचे हो गये है। विधायकों की “हार्स-ट्रेडिंग” जैसे जुमले उछलने लगे हैं। इस सारे घटनाक्रम का सबसे तेज असर मध्यप्रदेश में हुआ है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और मुख्यमंत्री कमलनाथ एक मुद्दे पर राजी हैं “विधानसभा का सत्र बुलाया जाये और फ्लोर टेस्ट हो जाये”। गोपाल भार्गव ने जन समस्याओं की आड़ लेकर एक पत्र प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल को लिखा है, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस पत्र के पीछे छिपी मंशा की साफ़ करते हुए फ्लोर टेस्ट के लिए तैयारी की बात कह डाली है। प्रदेश में सरकार की कथित मजबूती और विधायकों का लालच जग जाहिर है। इस विषय पर भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ सरकार गिरने की बात सबसे पहले कही है।राजनीतिक माहौल बनना शुरू हो गया है। “आयाराम-गयाराम” अपने दुप्पटो के रंग बदलने को आमादा है।राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं है, दोनों की सहमति के मद्देनजर 23 मई के बाद वे कभी भी विधानसभा का सत्र आहूत कर सकती हैं.
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava) की चिठ्ठी के बाद मुख्यमंत्री की और से भी बयान आना लाजिमी था | भाजपा जैसा सोच रही थी सरकार इस विषय पर दायें-बाएं होगी, पर सरकार ने दांव पलट दिया है | विधानसभा में विश्वास मत साबित करने की भारतीय जनता पार्टी की चुनौती पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं| दोनों अपनी मजबूती दिखा रहे है | गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को लिखे पत्र में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की.है| गोपाल भार्गव ने कहा कि यहां बहुत सारे मुद्दे हैं| कांग्रेस विधायक अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं, वे पार्टी छोड़ेने के लिए तैयार हैं| इससे सरकार के पास बहुमत नहीं बचेगा| अपने दम पर सरकार पहले ही दिन से बहुमत में नहीं है, भाजपा तब सरकार बनाने असफल रही थी इस एक्जिट पोल ने फिर से उसकी उम्मीद जगा दी है |
कमलनाथ (Kamal Nath) ने स्वीकार किया है कि भाजपा पहले दिन से ही उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है | उनकी सरकार पिछले पांच महीने में चार बार बहुमत हासिल कर चुकी है, उनके अपने पैमाने हैं| उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर प्रतिपक्ष ऐसा फिर चाहता हैं, तो कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं है| प्रतिपक्ष आड़ लेकर वर्तमान सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा हैं| सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है| सर्व ज्ञात तथ्य है कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई है| चुनाव के बाद कांग्रेस ने सपा और बसपा के समर्थन से सरकार तो बना ली पर इसके लिए उसे कई समझौते अपने दल के भीतर और बाहर करने पड़े हैं | वर्तमान में 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं जिनमे, बसपा के को दो और सपा और निर्दलीय विधायक है.जबकि भाजपा के पास 109 सीटें हैं| कमलनाथ ने सपा-बसपा को साथ लेकर और कितनी दूर जा पाएंगे एक प्रश्नचिंह है | उन्हें समर्थन देने वाले सपा-बसपा और निर्दलीय विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल होने का दबाव निरंतर बना रहे हैं | इस बात के लिए कमलनाथ सरकार पर समर्थन वापस लेने का दबाव कई बार साफ़ दिखा है |
मुख्यमंत्री द्वारा फ्लोर टेस्ट को लेकर आये बयान ने प्रतिपक्ष को सफाई देने पर मजबूर कर दिया | गोपाल भार्गव ने स्पष्ट किया कि उन्होंने विशेष सत्र बुलाने की मांग जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा के लिए की है| उनकी मानें तो वो हॉर्स ट्रेडिंग के पक्ष में कभी नहीं रहे और न मोल तोल से सरकार बनाने के पक्ष में हैं| कौन कैसे किसके पक्ष में है और क्यों यह सब जानते हैं |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।