नई दिल्ली। अगर आप ऐसे किसी ऑफिस (Office) में काम करते हैं, जहां कुदरती हवा नहीं आती तो यह चिंता की बात हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक- दफ्तर में प्राकृतिक हवा (Natural air) का न आना कर्मचारियों की सेहत पर खराब असर डालता है। ऑफिस में वेंटिलेशन (हवा की आवाजाही) न होने के चलते कार्बनडाईऑक्साइड का स्तर बढ़ जाएगा। इसका दिमाग पर बुरा असर पड़ेगा।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि इंसान उसी वातावरण में रह सकता है जहां ज्यादा ऑक्सीजन हो, ताकि हम आसानी से सांस ले सकें। कार्बनडाईऑक्साइड (जिसे हम बाहर निकालते हैं) शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होती है। कमरे में कार्बनडाईऑक्साइड का बेहद कम स्तर भी दमघोंटू साबित हो सकता है। यह मस्तिष्क को मिलने वाली ऑक्सीजन को बाधित कर सकता है।
दिमाग पर पड़ सकता है असर
रिपोर्ट के मुताबिक- शरीर के अंदरूनी अंगों में ऑक्सीजन का कम पहुंच पाना व्यक्ति की बुद्धिमानी पर असर डाल सकता है। एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) के मुताबिक- बंद कमरे में भी प्रदूषण का स्तर दो से पांच गुना तक बढ़ सकता है। ये प्रदूषक हृदय और फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं। साथ ही इससे समय से पहले मौत भी हो सकती है।
स्कूल और कार्यालयों में खराब वेंटिलेशन (रुकी हुई हवा) को लेकर आठ शोध किए गए। ईपीए के मुताबिक- ज्यादा नमी, ज्वलनशील ऑर्गेनिक पदार्थों की मौजूदगी, रेडॉन (अक्रिय गैस), कीटनाशक, धूल के कण, वायरस और बैक्टीरिया वायु की गुणवत्ता खराब करने वाले कारक हैं। अगर हवा की ठीक से आवाजाही न हो तो ये बंद स्थान पर आसानी से पनपते हैं।
वेंटिलेशन अति आवश्यक है
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डॉ. विलियम फिस्क का कहना है कि कमरे में कार्बनडाईऑक्साइड नियंत्रित करना जरूरी के साथ आसान भी है। इसका पहला चरण यही है कि कमरे को हवादार रखा जाए। एक प्रयोग भी किया गया। दो टीमों को कार्बनडाईऑक्साइड की अलग-अलग मात्रा वाले कमरों में बैठाकर टास्क दिया गया। एक टीम को 600 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) कार्बनडाईऑक्साइड वाले कमरे में रखा गया। दूसरी टीम को 2500 पीपीएम कार्बनडाईऑक्साइड वाले कमरे में बैठाया गया। ज्यादा कार्बनडाईऑक्साइड वाले कमरे में बैठी टीम को लक्ष्य पूरा करने में परेशानी हुई। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. जोसेफ एलन का कहना है कि हवा की बेहतर गुणवत्ता वाले कमरे में आपका दिमाग बेहतर ढंग से काम करता है।