इंदौर। लोकसभा चुनाव 2019 के बीच मध्यप्रदेश में आरएसएस को काफी कसरत करनी पड़ रही है। भोपाल सीट संघ के लिए पहले से ही प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है। इधर इंदौर की स्थिति भी ठीक नहीं है। भाजपा कार्यकर्ता रस्म अदायगी कर रहे हैं। सीट खतरे में नजर आ रही है। संघ ने यहां भी कमान अपने हाथ में ले ली है। अब इंदौर की गलियों में स्वयं सेवक सक्रिय नजर आ रहे हैं। वो लोगों को समझा रहे हैं कि बेरोज़गारी-नोटबंदी मुद्दा नहीं, सिर्फ राष्ट्रवाद के लिए वोट दें।
भाजपा ने सिंधी समाज के शंकर लालवानी को टिकट दिया है
सुमित्रा महाजन की इंदौर सीट पर इस बार भाजपा ने सिंधी कार्ड खेला है। देश भर में 35 लाख से ज्यादा सिंधी वोट है। इसका सीधा भावनात्मक जुड़ाव भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से था। 2019 के चुनाव में भाजपा ने आडवाणी को टिकट नहीं दिया है। इसका असर अपने मजबूत सिंधी वोट बैंक पर न हो इसलिए इंदौर में सिंधी कार्ड खेलते हुए शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है।
ब्राम्हण, वैश्य, मराठी वोटबैंक खतरे में
इंदौर का जातिगत समीकरण देखें तो यहां सिर्फ 60 हजार सिंधी वोट हैं। डेढ़ लाख मराठी और चार लाख वैश्य ब्राम्हण वोट हैं। इन्हीं के बल पर भाजपा पिछले तीस साल से यहां किला फतह कर रही थी लेकिन इस बार यहां भाजपा ने जोखिम उठाते हुए सिंधी कार्ड चला है। अब बात दूसरी जातियों का वोट बैंक साधने की है। स्पीकर सुमित्रा महाजन मराठी भाषी होने के कारण उनका सीधा प्रभाव इस वोटबैंक पर था। ब्राम्हण होने का सीधा फायदा लेते हुए उन्होंने कांग्रेस के ब्राम्हण वोट बैंक पर भी सेंध लगा दी थी। लालवानी के मैदान में उतरने से भाजपा को ब्राम्हण, वैश्य, मराठी वोटबैंक के बंटने का खतरा दिखाई दे रहा है। जिसके चलते संघ ने जबर्दस्त चुनावी अभियान की शुरू कर दिया है।
प्रत्याशी और व्यक्तिगत लाभ वाले मुद्दे नहीं राष्ट्र के नाम पर वोट दो
संघ ने यहां 150 से ज्यादा अनुशांगिक संगठनों को चुनावी रण में झोंक दिया है। राष्ट्रवाद और राष्ट्र सर्वप्रथम के नाम पर घर घर जाकर पर्चे बांटते हुए संघ के स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाल लिया है। संघ अपने नेताओं को समझा रहा है कि ये चुनाव बेरोजगारी, व्यापार, मंदी, नोटबंदी के उलझे हुए सवालों पर नहीं है और न ही इस बात पर है कि किसे पार्टी ने टिकट दिया है। हमारा लक्ष्य है – राष्ट्रवादी सरकार, सक्षम नेतृत्व।
भाजपा नेताओं को घर से निकालकर जनसंपर्क कराएंगे संघ कार्यकर्ता
संघ ने इस काम के लिए भाजपा संगठन के साथ तीन स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैनात किया है। एक बड़ी फौज जनता के बीच जाकर उनसे संपर्क करेगी। दूसरे संगठन के साथ मिलकर वॉर्ड और बूथ तक की व्यवस्था देखेगी। तीसरी लेयर में वे चुनिंदा नेता होंगे जो इन व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग करेंगे।
वोट के लिए घर–घर निमंत्रण देने जा रहा है संघ
संघ ने सीधे निर्देश दिए हैं कि ये जनता को बताना होगा कि उसके जीवन से जुड़ी समस्याओं के मुद्दे बहुत छोटे हैं। उसे अपने वोट की आहूति राष्ट्र के स्वाभिमान के लिए देनी है। संघ ने इंदौर – भोपाल के आवासीय परिसरों पर दो प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। यानि प्रत्येक मतदान केंद्र पर दो लोग होंगे। बूथ का हिसाब, उसकी मॉनिटरिंग ये दो लोग करेंगे। बूथ प्रभारी, बूथ कमेटी का काम इन्हें देखना है। वोटिंग के लिए ज़्यादा से ज़्यादा लोग बाहर निकलें ये ज़िम्मेदारी इनकी होगी।
शिवराज सिंह के कारण बिगड़ गया इंदौर का माहौल
संघ ने एक तरह से भाजपा पर सीधे नियंत्रण करने के लिए भी इस रणनीति को अंजाम दिया है। भाजपा में लालवानी को टिकट देने पर अंदरूनी घमासान का माहौल था। यह टिकट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कोटे से तय हुआ है। जिसने आरंभिक तौर पर खींचतान का माहौल बना दिया था।
संघ का मैदान में आना सामान्य है
पूर्व संघ चालक लक्ष्मण नवाथे कहते हैं कि इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है। संघ, राष्ट्र के स्वाभिमान को लेकर अपने अनुशांगिक संगठनों और भाजपा से भी चर्चा करता रहा है। जनजागृति उसका नियमित काम है। वोट का उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए हो इसकी सजगता देना संघ का काम है। भाजपा के पूर्व मंत्री सत्यनारायण सत्तन कहते हैं कि भाजपा ने लालवानी को टिकट दिया है। वे सिंधी हैं, लेकिन हिंदी है।. हमे यह साफ तौर पर खुलकर कह रहे हैं। इंदौर में चुनाव जाति पर नहीं है।