सागर। विशेष पुुलिस स्थापना लोकायुक्त (LOKAYUKTA) की टीम ने दावा किया है कि उसने एक छापामार कार्रवाई के दौरान 08 मई 2019 को दोपहर खुरई रोड पर स्थित आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त केके सूर्येश (K.K. SURYESH ASSISTANT COMMISSIONER, TRIBAL ) व उनके कार्यालय के लिपिक सुरेंद्र सिंह गौर (SURENDRA SINGH GOUR CLARK) को विभाग के कर्मचारी से 20 हजार रुपए की रिश्वत (BRIBE) लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत कार्रवाई की गई है।
जानकारी के अनुसार सतीश पिता दुर्गा सिंह गोलनदांज, बीना में विभाग द्वारा संचालित जूनियर अनुसूचित जाति बालक हास्टल में शिक्षक और अधीक्षक के प्रभार में है। उन्होंने लोकायुक्त एसपी रामेश्वर सिंह को लिखित शिकायत की थी। मेरे से कारण बताओ नोटिस फाइल करने और वेतन वृद्धि के एरियर्स के भुगतान करने के एवज में सहायक आयुक्त सूर्येश और लिपिक गौर द्वारा 10-10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से मैं रिश्वत नहीं दे सकता। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर 8 मई को दोपहर लोकायुक्त टीम ने दोनों आरोपितों को कार्यालय के चैंबर में शिकायतकर्ता सतीश से दस-दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
500 के नोट लेकर भेजा था
लोकायुक्त एसपी रामेश्वर यादव के मुताबिक आवेदक सतीश को केमिकल्स लगे पांच-पांच सौ रूपए के नोट लेकर दोनों आरोपितों को देने कार्यालय भेज था। वहां आवेदक ने होशियारी दिखाते हुए उन्हें चैंबर में ले गया। वहां दोनों को 10-10 हजार रुपए दे दिए। इस दौरान टीम के सदस्यों ने उन्हें 500-500 के नोट लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। दो घंटे चली कार्रवाई के बाद उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है। टीम में निरीक्षक मंजू सिंह, बीएम द्विवेदी, आरक्षक सुरेंद्र सिंह, आशुतोश व्यास, संतोष गोस्वामी, यशवंत सिंह, अरविंद नायक, नीलेश पांडे व पंचसाक्षी मौजूद थे।
1992 में भर्ती हुए, मूल पद लेक्चरर है, असि कमिश्नर का प्रभार लिए बैठै हैं
आरोपित केके सूर्यश का विभाग में मूल पद लेक्चरार है। वर्तमान में सहायक आयुक्त के प्रभार में है। उनकी भर्ती विभाग में वर्ष 1992 में हुई थी। वर्ष 1996 से सागर जिले में पदस्थ है। विभाग के कर्मचारियों का कहना है वर्तमान में उनका वेतन 70 हजार रुपए मासिक है, लेकिन वे विभागीय फाइलें हो या खरीदी संबंधी फाइलें उनकी बिना सहमति के आगे नहीं बढ़ाई जाती हैं। वे विभाग के पूरे सिस्टम को ऑपरेट करते हैं।