नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राज्य से एमबीबीएस करने वाले प्रदेश के मूल निवासी छात्रों को स्टेट कोटे से पीजी में प्रवेश दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और जस्टिस एमआर शाह की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद एमपी हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। यह याचिका एमपी हाईकोर्ट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसके जरिए दूसरे राज्य से एमबीबीएस करने वाले मध्यप्रदेश के मूल निवासी छात्रों को स्टेट कोटे से पीजी में प्रवेश दिए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।
डॉ. दिव्य ज्योति श्रीवास्तव की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने 9 मार्च 2018 को नियम बनाया है कि दूसरे राज्य से एमबीबीएस करने वाले मध्यप्रदेश के मूल निवासी छात्रों को पीजी में स्टेट कोटे से प्रवेश दिया जाएगा। याचिका में कहा गया कि मूल निवासी को पीजी प्रवेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इस तरह के नियम को उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड हाईकोर्ट अमान्य घोषित कर चुकी है। याचिका में स्टेट कोटे की पीजी काउंसलिंग पर रोक लगाने की राहत चाही गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने स्टेट कोटे की पीजी काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई। अनावेदक छात्रों की ओर से अधिवक्ता सिद्घार्थ सेठ और कार्तिक सेठ ने दलील दी कि दूसरे राज्य से एमबीबीएस करने वाले मध्यप्रदेश के मूल निवासी छात्रों को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है, बल्कि उन्हें पीजी में प्रवेश के लिए प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में मेडिकल की पीजी कोर्स के दो राउंड की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। ज्यादातर छात्र पीजी कोर्स में प्रवेश ले चुके हैं। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।