भोपाल। कलेक्टर डॉ. सुदाम खाड़े के खिलाफ कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए हैं। उन्होंने 14 कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने की सिफारिश की है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह अन्यायपूर्ण कार्रवाई है। कर्मचारी संगठनों ने तय किया है कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया तो आचार संहिता समाप्त होते ही आंदोलन किया जा सकता है।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ओपी कटियार, महामंत्री एलएन शर्मा, सचिव उमाशंकर तिवारी, का कहना है कि यह कार्रवाई एक तरफा एवं अन्यायपूर्ण है। काेई भी सरकारी कर्मचारी चुनाव जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य के दाैरान ड्यूटी करने में कोताही नहीं बरतना चाहते हैं। डायबिटीज, अस्थमा, ब्लड प्रेशर हाई एवं लाे हाेना, सर्वाइकल जैसी बीमारियाें से पीड़ित कर्मचारियों ने ही अवकाश लिया हाेगा। मतदान केंद्राें पर मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जाती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पाेलिंग बूथाें पर जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के बारे में चुनाव आयाेग तक काे पत्र लिखा था।
आयाेग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय काे सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए थे। बूथाें पर सुविधाएं नहीं हाेने से इन कर्मचारियों काे जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। सैकड़ों कर्मचारियों काे अभी तक चुनाव ड्यूटी का मानदेय भी नहीं मिला है। मप्र शासकीय अध्यापक संगठन के संयाेजक जितेंद्र शाक्य, उपेंद्र काैशल का कहना है कि जीएडी के आदेश के बावजूद यह कार्रवाई उचित नहीं है।
बिना चिकित्सकीय अनुशंसा के अयोग्य मान लेना अनुचित
मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा कि यह आदेश अनुचित एवं अन्यायपूर्ण है। चिकित्सकों द्वारा विधिवत जारी प्रमाण पत्र के आधार पर ही कर्मचारियों ने चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने के लिए आवेदन दिए थे। सामयिक अस्वस्थता के आधार पर बिना किसी चिकित्सकीय अनुशंसा के सरकारी सेवा से हमेशा के लिए अयोग्य मान लेना सर्वथा अनुचित है।