भोपाल। मध्यप्रदेश के सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के बीच में ही देश छोड़कर अमेरिका चले गए। उनकी इस यात्रा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया आधे उत्तरप्रदेश के प्रभारी हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश में भी उनका काफी क्रेज है। मालवा–निमाड़ की आठ सीटों पर बड़ा दांव लगा हुआ है, ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां काफी फायदेमंद हो सकते थे। सवाल यह है कि फिर ऐसा क्या हुआ जो वो अमेरिका चले गए। यह फैसला उन्होंने खुद लिया या फिर कांग्रेस में उनके दायरे सीमित कर दिए गए हैं।
12 मई को बाद सिर्फ एक सभा को संबोधित किया
गुना-शिवपुरी में 12 मई को वोटिंग के बाद सिंधिया सिर्फ एक चुनावी सभा करने धार पहुंचे जहां उनके कोटे से दिनेश ग्रेवाल को टिकट मिला है। अगर ज़मीनी हालात की बात की जाए तो जानकारों की राय में सिर्फ छह महीने पहले विधानसभा चुनाव में ताकत दिखा चुकी कांग्रेस को एकजुट रखने के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री समेत बड़े नेताओं को जोर लगाना पड़ रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव सिंह कहते हैं कि इस बार हम दोगुनी ताकत से सीट निकालेंगे। सिंधिया अमेरिका में अपने बेटे की ग्रेज्युएशन सेरेमनी के लिए गए हैं। वहां से भी वे लगातार संपर्क में हैं। अपने समर्थक सभी मंत्रियों-विधायकों को उन्होंने अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने और जिम्मेदारी से काम करने के लिए कहा है।
दीपक बावरिया भी प्रदेश में नहीं हैं
कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी। यानी सरकार और संगठन एक हो गया है। जिसका असर अब ग्राउंड में दिखाई दे रहा है। मध्य प्रदेश के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया भी लोकसभा चुनाव में नजर नहीं आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वो बीमार हैं। स्थानीय संगठन के बूते और अपनी समर्थकों की फौज के दम पर उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ जिलों में गुटबाजी सामने आई है। बड़े नेताओं की नाराज़गी और मंत्रियों की अपने इलाके में निष्क्रियता का असर लगातार दिखा।
मालवा-निमाड़ क्यों है सबसे ख़ास
19 मई को आखिरी दौर की वोटिंग है। इसमें मालवा- निमाड़ की आठ सीटें आ रही हैं। यह वे इलाके हैं, जिसके दम पर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी का रास्ता तय किया है। करीब 80 विधानसभा सीटों वाला यह इलाका कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद रहा। यहां इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, देवास, खंडवा, खरगोन, धार, रतलाम जैसी सीट आती हैं। जिनमें से पांच सीटें एससी और एसटी वर्ग की हैं। इन सभी इलाकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रशंसको की संख्या काफी है। चुनाव प्रचार के लिए सिंधिया का यहां होना अनिवार्य समझा जा रहा था।
तीनों बड़े नेता अपनी सीट तक सिमटे रहे
कई मंत्री और विधायक अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के कारण अपने क्षेत्र से गायब रहे। सिंधिया समर्थक नेता मंत्री पूरे समय गुना –शिवपुरी में रहे। दिग्विजय सिंह समर्थकों ने अपना इलाका छोड़कर भोपाल में डेरा जमाया। मुख्यमंत्री कमलनाथ भी छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से विधानसभा का उपचुनाव लड़े वहीं उनके बेटे नकुलनाथ ने लोकसभा प्रत्याशी रहे हैं। नतीजा ये रहा कि उनका ज्यादातर समय छिंदवाड़ा तक सीमित रहा।