भोपाल। मध्यप्रदेश के जनसंपर्क संचालनालय में आयरन फ्रेम बोर्ड घोटाला सामने आया है। जनसंपर्क विभाग ने एक ऐजेंसी को प्रदेश के सभी जिलों में आयरन फ्रेम बोर्ड लगाने का ठेका दिया। इसके बाद पेमेंट कर दिया। विभाग ने सत्यापन ही नहीं किया कि बोर्ड लगे या नहीं जबकि टेंडर की शर्तों में सत्यापन अनिवार्य था। यह बोर्ड महिला एवं बाल विकास विभाग की मातृत्व वंदनीय याेजना, लालिमा और मंगल दिवस आदि कार्यक्रमों की जानकारी एवं प्रचार-प्रसार के लिए लगाए जाने थे। खुलासा तो तब हुआ जब महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी जिलों के दौरे पर गए और उन्हे बोर्ड नहीं मिले।
मप्र के अलग-अलग जिलों में 8x10 फीट के 3097 आयरन फ्रेम बोर्ड लगाए जाने थे। विभाग ने एजेंसी को प्रति बोर्ड 9280 रुपए के हिसाब से 2 करोड़ 87 लाख 40 हजार का भुगतान किया गया है। विभाग ने एजेंसी को पूरे प्रदेश में ऐसे 3097 लगाने का टेंडर दिया था। टेंडर के अनुसार एजेंसी को सभी जिलों में लगाए गए बोर्ड के कम से कम 50 फोटो विभाग को उपलब्ध कराने थे। एजेंसी को भुगतान के पहले विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अैर जिला जनसंपर्क अधिकारी से इन सभी बोर्ड को सत्यापित भी कराना था। सत्यापन के आधार पर ही विभाग को बिलों का भुगतान करना था। जानकारी के अनुसार सशक्तिकरण संचालनालय के अधिकारियों ने ज्यादातर जिलों में बिना सत्यापन के आनन-फानन में एजेंसी के बिलों का भुगतान कर दिया। अब जांच कर रहे अधिकारी सभी जिलों में लगाए गए बोर्डों की जानकारी मंगा रहे हैं।
जिले में तैनात अफसरों को जानकारी ही नहीं है
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कुछ माह पहले सागर और सतना जिले में गए थे। इस दौरान उन्हें कहीं भी आयरन फ्रेम बोर्ड नजर नहीं आए। इतना ही नहीं जिले के परियोजना अधिकारियों तक को ऐसे बोर्ड लगाए जाने की जानकारी नहीं थी। राजधानी लौटने के बाद इन अधिकारियों ने महिला एवं बाल विकास संचालनालय के आयुक्त को इसकी जानकारी दी। इसके बाद आयुक्त ने संयुक्त संचालक छोटे सिंह को जांच की जिम्मेदारी दी थी। छोटे सिंह के तबादले के बाद अब संयुक्त संचालक अभय वर्मा इस मामले की जांच कर रहे हैं।
यह है मामला-
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही मातृत्व वंदनीय याेजना, लालिमा और मंगल दिवस आदि कार्यक्रमों की जानकारी एवं प्रचार-प्रसार के लिए फरवरी-मार्च 2018 में आयरन फ्रेम बोर्ड लगाने थे। इसके अलावा बच्चों के अधिकारों की जानकारी देने के लिए भी कुछ बोर्ड लगाने थे। विभाग ने यह जिम्मेदारी जनसंपर्क विभाग को दी। जनसंपर्क विभाग ने एक एजेंसी को बोर्ड लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। जनसंपर्क के माध्यम से हुए इस भुगतान के पहले विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों से बोर्ड लगाए जाने की जानकारी मंगाने और सत्यापन करने तक की जहमत नहीं उठाई।